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[ मन्थ सूची-पंचम भाग
ताम पट्रि जस धाम खिमागुण मंडलो।
परु हा गुरु मुणि महिंद औरण मैंणद्र म खंडणौ ॥६॥ अडिस्ल
गुरु मुनि माहिदसंग भगौती, रिसि पद पंकज रण भगौती। कृष्णदास बनि तनुज मगौली, तुरिय गौ तु मनुज भगौती ।।६७।। नगरि चूडिये वासि भगौती, जन्म भूमि चिरु पासि भगौती।
अग्रवाल कुल वंस लगि, पंडितपदि निरखी ममि भगौती 11 ७०॥ चौपई
जग्गनिपुर पूरपति अति राजह, राई पौरि नित नौबति बाजइ। बसहि महाजन धन धनवंत, नागरि नारि पबर मतिवंत ॥७॥ मोतीटि जिनभवनु यिराजइ, पडिमा पास निरखि अघु भाजद । श्रावक सगुन मुजान दयाल, षट् जिय जानि करहि प्रतिपाल ॥७२॥ विनय विवेक देहि रिसि दान, पंडित गुना करहि सनमानू । करि करुणा निरचन धनु देही, प्रति प्रवीण जगमाहि जसु लेही ।।७३। जिह जिनहर चौ संघ निवासू, सह कवि भगत भगौतीदासू ।
सीता सतु तिनि को बखानी, छंद भेद पद सार न जानी ।।७४।। बोहरा
पहहि पदावहि सुनि मनहि, लिखहि लिखावहि गोह ।
सुर नर नृप खग पदु लहइ, मुकति वरहि हरिण मोहु ।।७।। सोरठ
बरसी पास मेहु बाजल तूर अनंद के । दंपति करण सनेह घर घर मंगल गाइयो ।।७६।। फुनि हां नवसतसह वसुबारिम संवत जानिये सादि सकल ससि तीज दिवस मनि पानिए । मिथुन रासि रवि जोइ चन्दु दूजा गन्यौ । पर हां कविस भगौतीदासि प्रासि सीय मतु भन्यो ।। ६७७।। इति श्री पद्म पुराणे सीता सतु संपूर्ण समापता । संवत् १७३० का दुतीक भाद्रपद मासे कृष्ण । पस्ये एकादश्यां गुरुबासारे लिप्पकृतं महात्मा।
जसा सुत कलला जोबणेरमध्ये ।। मृगी संवार-(बेष्टन सं० ५६८) प्रथ मृगी संवाद लिख्यते--
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सकल देर सारद नमी प्रणामू गौतम पाइ। राम भरणी रलिया मरखो, सहि गुरु तस्सी पसाह ॥१॥