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विशेषप्रारम्भ-दोहा
प्रथम वीर सन्मति चरण, दूतीया सारदा माय । नरसन संग्रह करन, ज्यौं भवचन मसि जाय ।। अथ समह विचारते, सिनही के अनुसारि।
मन नु+ इम काम्ने, पठल सुनत भत्र पार ॥२॥ अन्तिम--
शुभ सुधान मुहबतपुरा, जिला अलीगढ़ जान । जैसी थावक जनन की, जन्म भूमि मुझ मान |1|| मंड यासी श्रावक, जैसवाल कुल भांन ।
बंश इक्ष्वाक सु उपजे मोलानाथ प्रधान 16|| चौपई.--
सुत गोपालदास है तास, पुत्र युगल तिनके हम ज्ञास। अनुज गणेशीलाल बरवानि, दूजा भगवंता गुरु मानि ।।
उर्फ लकव नन्नूमल कह्यो, जन्म सुफल जिन बच पढि भयो ।
भूल चूक धीमान राम्हार, अन्यमती लखि दया विचार॥ सोरठा
रतन पुज हुनि लीन, पढ़ो पढ़ाली राजन जन । कर्म बंध हो औन, लिस्रो लिखावौ प्रीतिघर ।। अव पपूर्ण कीन, संवत् सर विक्रम सनौ ।
युगल सहस में हीन, अर्घ शतक चव में मनी ।। गोतछंद ..
मंगसिर जुगुक्ला पंचमी बुधवार पूर्वाषाढ के । दिन कियो पूरण रतन संग्रह शुभ मुबखानि के || अनमान अरु परिमान सारे हैं श्री जिनवानि के। अपनी तरफ से कुछ नहीं मैं लिखा भविजन जानि के ।।
॥ इति थी रतन संग्रह समाप्त ।। लिखतं लाला परशादीलाल जनी साकिन नगले सिकंदरा जिला प्रागरा पोस्ट हिम्मतपूर मिती चत कृष्णा ४ शनिवार सं० १९६७ विक्रम । रामचन्द्र बलदेवदास फतेहपुर वालों ने जैन मन्दिर में चढ़ाया हस्ते पं० हीरालाल पासोज सुदी ५ सं० १६६७ ।
६४७५. लक्ष्मी विलास-६० लक्ष्मीचंद । एत्रसं० १२० । प्रा० १२३ ४७ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय ---संग्रह । र० काल x ले० काल सं० १६१८ । पूर्ण । वेष्टन सं०१२० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदी।
विशेष-वैष्णव मत के विरोधी का खपवन किया गया है
६४७६. विचारामृत संग्रह-४ । पत्र स. १३ । ग्रा० १.१४४, इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह । र काल x ले. काल म. १८६१ । पूर्ण । वेष्टन रा. २२० । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर बोरग़ली कोटा ।