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[ ग्रन्थ सूची-पंचम माग
अन्तिम
हंसा दुर्लभी हो मुकति सरोबर तीर ।
इन्द्रिय बाहियाउहो पोक्त विषयह' नीर ।। अति विषयनीर पियारा लागी बिरह वेदन व्याकुले । बारह प्रेक्षा सुरति छाडी एम भूलो घायले । अब होउ एतनु फहक तेता बुद्ध बंसद जम्मण ।
संज्ञा समरणउ आप सरनाउ परम रयनत्तय गुणु ।।१२।। इति द्वादशानुप्रेक्षा समापिता । प्रादिनाथ स्तुति बिनोदीलाल हिन्दी खिचरी
कमलकीति
प्रारम्भ
संजम की प्रभु सेज मंगाऊ स्यावाद को गदुवा । पानी हो जिन पानी मंगऊ चरचा चौविध संघकी। प्रारज जाय अजवाइन लाई, पीपर कोमल जावरी । धनिया हो जिन पद को लाइ मूढ महामद छांडिये । श्रीरज को प्रभु जीरो लाई सन्त्र यिसयारसु चेक्षणा । सुकल ध्यान की सूठ मंगा कर्मकांड ईधनु परणे ।
हिन्दी
अन्तिम
श्री आदिनाथ जिनराज" "श्रावग हो तहां चतूर सूजान । धर्म ध्यान गण आगरी कीजे............. परमारथि जानि । यह विनती जिनराज की चहूँ संघ के.......... 'कल्याण । थी कमल कोति मुनिहर कही....
इति खिचरी समाप्ता सोलहसती की सिझाय
प्रेमचंद क्षेत्रपाल गीत
सोभाचंद भक्तामर स्तोत्र भाषा
हेमराज
ले०काल सं. १८२८ बैशाख वद्रो विशेष-जतीमान सागर ने जती सेवाराम के पठनार्थ पिंगोरा में प्रतिलिपि की थी। श्री महावीर जी के प्रसाद से । गणपति स्तोत्र
संस्कृत बारहखड़ी
सुदामा
हिन्दी वीर परिवार स्थूल भट मिझाय गुरगवर्द्धन गरि पत्राजी की बीनती