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________________ गुटका संग्रह ] [ ११६१ १०३२०. गुटका सं० ३८ प ३२२ । चा० १५५३ भाषा-संस्कृत ले० कास X I पूर्ण बेष्ट सं० ४४७ | विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है। १. सूक्तिमुक्तावली २. सुभाषितावसी ३. सारोदार ४. भर्तृहरि क ५. विष्णु कुमार कथा AT ६. ७. सागरचक्रवर्ति की कथा ८.सोहं स्तोत्र सोमप्रभाचार्य X भर्तृहरि X Xx X x १. महावीर बीनती - प्रभाव। हिन्दी | २. पार्श्वनाथ वीनती- वादिचत्र हिन्दी ३. सामायिक टीका - X। संस्कृत । ४. लघु सामायिक X | संस्कृत - | ५. शांतिनाथ स्तोत्र – मेरुचन्द्र संस्कृत । १०३२१. गुटका सं० ३९ पत्रसं० २०१० ९४५ ६ भाषा हिन्दी संस्कृत ले०काल x । पूर्ण वेटन सं० ४४५ । अन्तिम - डाकिनी साकिनि भूत ताल वासिले नविकराल तुझ नाम ध्यातीदमान ॥२८॥ जग मंगलकारी जिनेन्द्र प्रभाचन्द्र वादिचन्द्र जोगिन्द्र स्तम विक्रम देवेन्द्र ।।२६।। सुभाषित विशेष - गुटका महत्वपूर्ण है । वाजीकरण श्रोत्रियां यंत्र मंत्र तंत्र रासायनिक विधि, धनेक रोगों की औषधि दी हुई हैं। पं० श्यामसाल को पुस्तक है। " १०३२२. गुटका सं० ४० । पत्र सं० १४८ ० EX७ इव । भाषा संस्कृत-हिन्दी से० काल । पू । वेष्टन ० ४४१ । विशेष मुख्य पाठ निम्न हैं २० काल सं० १६४८ 37 अन्तिम व्यापारे नगरे रम्ये शांतिनाथ जिनालये । रचितं मेरुचन्द्रण पढंतु सुधियो जनाः ।। 世
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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