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[ ग्रन्थ सुखी - पंचम भाग
६७६५. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० २ से ३६ । ले० काल x । पूर्ण वेन सं० ५३ । विशेष - नित्य पूजा है
१०४८ ]
२७६६. गुटका सं० ३५ पत्रसं० ४० ११५ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत ले० काल X पूर्ण वेष्टन ० ५८
विशेष जिन सहस्रनाम एवं पूजा पाठ है
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६७१७. गुटका सं० ३६ ०७१ विशेष – जिन सहस्रनाम स्तोत्र प्राज्ञाघर
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पत्र सं० १४२
७१८. गुटका सं० ३७
सं०] ५.५ ।
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भाषा-हिन्दी ले०काल X। पूर्ण बेन०५४ षोडष कारण पूजा, पंचमेरू पूजाए हैं।
विशेष – पंचमंगल - रूपचन्द्र सिद्ध पूजा श्रष्टाह्निका पूजा, दशलक्षण पूजा, स्वभू स्तोत्र, नवमंगल नेमिनाथ, श्रीमंधर जी की जखड़ी - हरष कीति । परम ज्योति, भक्तामर स्तोत्र श्रादि हैं।
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६७६६. गुटका सं० ३८ पत्रसं० २४० | भाषा-हिन्दी-संस्कृत ले० काल X | पूर्णं । वेष्टन सं० ५६ ॥
व्रत
विशेष – नित्यनैमिनिक पूजा पाठ, सम्मेदाचल पूजा, चौदीत महाराज पूजा, पंच मंगल, पत कथा व पूजा हैं |
भाषा-हिन्दी-संस्कृत वे० काल । पूर्मा
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१८००. गुटका सं० ३६ पत्र सं० २२३ भाषा - हिन्दी-संस्कृत ले० काल X पूर्ण बेटन सं ० ५७ ।
८०१. गुटका सं० ४० । अन्तिम पाठ
विशेष – तत्वार्थ सूत्र, मंगल, पूजा, पंच परमेष्टी पूजा, रत्नत्रय पूजा, आदित्यवार कथा, राजुल पच्चीसी आदि पाठ हैं ।
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पद-१-मक्सी पारसनाथ - भागचन्द्र |
प्रभु का मेला है बलिभद्र ।
३- मैं कैसी करु साजन मेरा प्रिया जाता गढ़ गिरनार — इन्द्रचन्द्र
४ - सेवक कू जान के - लाल ।
५. जिया परलोक सुधारो किशनचन्द्र ।
६- आगे कहा करसी भैया जब प्राजासी काल रे - बुधजन |
विशेष – सत्रा श्रृंगार है ।
भाषा करी नाम समाभूषन गिरंभ कह लीजिए । याने रागरागिनी की जात समे -यह ले तान
तालग्राम मुरगुनी सुनि रोकिए । गंगाराम विनय करत कवि कोन सुनि दरनत भुले सो सुधारि कीजिए ।