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गुटका संग्रह ]
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१००७०, गुटका सं०३। पत्र सं० ७८ । ग्रा० ४१x६ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ ।
विशेष—पद विनती आदि हैं।
१००७१. गुटका सं० ४ । पत्रसं०७४ । मा० ४३ x ३३ इञ्च । माषा-हिन्दी-संरकृत । ले काल X । पूर्ण । बेष्टनसं०१२ ।
विशेष-जिनसेन कृत सहस्रनाम तथा रूपचंद कृत पंच मंगल पाठ हैं।
१००७२. गुटका सं० ५ । पत्र सं० १४ । या० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x I पूर्ण । वेष्टन मं० १०६ ।
विशेष-सामान्य पूजा स्तोत्र एवं पाठ हैं।
१००७३. गुटका सं०६। पत्रसं० २३ । प्रा० ५४४१ इंच । माषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८४२ कात्तिक बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ ।
विशेष-निम्न पाठ हैं(१) सूरसगाई-सूरदास । पद्य सं० ५ (२) बारहमासा-मुरलीदास' । १२ अगहन अगम अपार सखी री
या दुख मैं कासों फहूँ। एक एक जीय में एसी श्रावत है
जाय यमुना में बहु ।। बहू यमुना जरु पात्रक
सीस करवत सारि हों। पंथ निहारत ए दिन बीते
को लगि पंथ निहारि हों। निहार पंथ अनाथ में भई
या दुख मैं कासों का। भनत मुरली दास जाय
यमुना में बहु ।।६।। अन्तिम
मनत गिरवर सूज हो देवा
गति मकति कसे पाइये । कोटि तीरथ किये को
फल बारामासा गाइये। (३) चौवनी लीला---XI (४) कविश–नागरीदास । पत्रसं० १२० ।