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________________ इस अवसर पर स्व. गुरुवयं पं० चनसुखदासजी सा० न्यायतीर्थ के चरणों में सादर श्रद्धान्जलि मर्पित है जिनकी सतत प्रेरणा से ही राजस्थान के इन शास्त्र भण्डारों की नथ सूची का कार्य किया जा सका । हम हमारे सहयोगी स्व. सुगनचन्द जी जैन की सेवायों को भी नहीं भुला सकते जिन्होंने हमारे साथ रह कर शास्त्र भण्डारों की पंथ सूखी बनाने में हमें पूरा सहयोग दिया था। उनके प्राकस्मिक स्वर्गवास से साहित्यिक कार्यों में हमें काफी क्षति पहुंची है। हम उदीयमान शोधार्थी श्री प्रेमचंद रावका के भी यामारी हैं जिन्होंने नय सूची की अनुक्रमणिकायें तैयार करने में पूरा सहयोग दिया है। हिन्दी का मूलभ कि 1 हमारी प्रसाद जी द्विवेदी के हम अत्यधिक प्रामारी हैं जिन्होने हमारे निवेदन पर ग्रेच सूची पर पुरोधाक लिखने की महती कृपा की है । जैन साहित्य की भोर आपकी विशेष रूचि रही है और हमें प्राशा है कि प्रापकी प्रेरणा से हिन्दी के इतिहास में जैन विद्वानों को कृतियों को उचित स्थान प्राप्त होगा। राष्ट्रसंत मुनिप्रवर श्री विद्यानदजी महाराज का हम किन शब्दों में आभार प्रकट करें। मुनि श्री कर प्रायोर्वाद ही हमारी साहित्यिक साधना का संबल है। १-१-७२ कस्तूरचन्द्र कासलीवाल अनूपचन्द न्यायतीर्थ
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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