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________________ ६४८ ] [ ग्रन्थ सूची--पंचम भाग मध्य भाग अति पाणंद हको तिणाचार, पारद दोऊ वीर आपार । प्राय पता तब तर दारि, गावै गीत सुभग नर नारि । बाजै बाजा बहु अतिसार, अगि उबटणा कर कुमारि । जल समानि जवादि अवीर, अरक उद्योत तिसो बसु धीर ।। भोजन भगति भई सुभराइ, विजन बृ'द बहुत बरगाय । मोदक मेवा मिठाइ पकवान, जीमै बाला वृद्ध जवान ।। सीतल जल सुवास सवाद, पीवत तपश और जाय विषाद ।। विपत्या इन्द्री तत्पर बैरण, नर नारी स्नेह रस नैण ।। अन्तिम भाग-- बाग बाप नदि ताल सुभ, शुभ थावग धर्म चेत । गोसो सामायक सदा, देव पूज गुह हेत। अक्षर शत न जांगाही हांसि तजो कविराव । मुगी कथा तैसी रची, लील कतहल भाव। सतरास निडोतराय कालिग सुभ गुरुवार । सेत ससमी कथा 'रची पढल सुरगत सुखसार । एकसउ तरेपन दोहडा सोरठ ग्यारह सार । इक्यासी पर एक सत सुध घउपई सुद्धार । इति मुरि चरित्र समाप्त। ६१६७. गुटका सं० ३०. । पत्र सं० ३६६ । प्रा० ६.४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । ले. काल x | पूरणं । वेष्टन स०५६६ । विशेष-निम्न पूजाओं का संग्रह हैश्रेपन क्रिया पूजा कर्मदहन पूजा धर्म चक्र पूजा वृहद् षोडशकारण पूजा दशलक्षण पूजा पद्मावती पूजा आदि ९१६८. गुटका सं० ३१ । पत्रसं० ४२० । आ. ६५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृल । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५७० । विशेष पूजा पाठ स्तोत्र कश्या प्रादि का संग्रह है। १६६. गुटका सं०३२। पत्रसं० १२५ | मा० ८४६ इश्व । भाषा-हिन्दी। ले०काल सं० १५११ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७१ । विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है। मुख्य पाठ निम्न प्रकार है
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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