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१२८२ ]
पंच नाम लेखक
बरपट्टा श्वेता मत क्षेत्र संग्रह
पद कर्मचंद्र
षट्कर्मरास-ज्ञान सूत्र
प
विशति का सूत्र
दर्शन
षट्
भाषा पत्र सख्या | प्रथ नाम
हि
प्रा०
दर्शन के छिनवे पाखण्ड
ि
हिο
षट्कर्म
षट् 'कर्मोपदेश रत्नमाला - धमरकीर्ति अप० पत्र कमरदेश रत्नमाला - सकलभूषरण सं० कर्मोपदेश रत्नमाला भाषा - पांडे लालचन्द हि० १६०,१६९
कारक - विनश्वरनन्दि प्राचार्य सं० पद विवरण
सं०
षट् काशिका
षष्ट पात्र
काभेव दर्शन
षट् श्रारणमय स्तवन – जिनकोति षट् त्रिशति
सं०
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प दर्शन पाखण्ड
षट् दर्शन वचन
यह दर्शन विचार
पट दर्शन समुच्चय षड्दर्शनसमुच्चय-रिमरि ०
सं०
लेखक
६५६ पट् हुई प्रा० कुन्दकुन्द ७६१
चद् दर्शन समुष्यय टीका
सं०हि०
षट् दर्शन समुहवय टीका- राजहंस सं०
चद् द्रव्य विवरण
यह पदी शंकराचार्य
बद् पाठ
११३५
६४४
१२०३
१६७
१६६
६७७
२६१.
४३३
२६२
१०३६
२६१
२६१
२६१
५१९
५१६
५२०
५२०
११४०
पड़ भक्ति
७६३ षडावश्यक
६७७
२११,
२६२
२६२
२६२
२५६
Где
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#to ७६३
हिο
६७७
२१५.११०२
पट्टीका
हिब्ग० २१६
हरा
जयचन्द छाबड़ा हि०५० २१६ पाहुड भाषा - देवीसिंह छाबड़ा हि० २१६ सं० २२०,२०१
षट् पाहुड वृत्ति - श्रुतसागर
सं०
यं
चि०
सं
पद पंचाय
षट् पंचाशिका ---भट्टोपल
[ प्रथानुक्रमणिका
भाषा पत्र संख्य
प्रा० २१७.
पटू प्रकार मंत्र
पटू रस कथा - ललितकल षट् रस कथा - शिव मुनि
षट्
लेश्या गाथा
पद्
लेश्या वर्णन
षड् लेश्या श्लोक
'प'ट्
वर्ग फल
षडावश्यक विवरण
षड् शीतिक शास्त्र
वठि योग प्रकरण षष्ठि
षष्ठि शतक भंडारी ने मचन्द्र
षष्ठि संघरसरी
सिंवत्सरी - दुर्गादेव
संवत्सर फल
-
सं
हि•
हिन्
पढावश्यक
षड़ावश्यक बालावदोष
पठावश्यक बालाजोषमहंग हि० पडावश्यक बातावोध टीका प्रा०हि०
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षोड़शकारण
योगकारण कथा- भैयास
पोकरण कथा ललित कीति
पोशकारण जयमाल
षोडशकारण जयमाल रघू
सं०
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६२३
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१११६
१०५६
१७०
४६१९
8:30
१७०
१७०
१७१
१७०
५६६
७६३
६८२
५६८
५६८
१०६४
२१२३
४७६
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६१४