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________________ प्रधानुक्रमणिका ] [ १२८३ १२०४ मा. हि (१६ ४६१ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या षोडशकारण जयमाल वृत्ति—शिवजीलाल सज्जन चित्त वल्लभ प्रा०सं. ११५ सज्जन चित्त बल्लभ... मल्लिा सं० १०६०, षोडशकारण दशलक्षण जयमाल रइवू अप० १७१ १२०४ षोड़शकारण पूजा सं० ११५, सम्झाय हि०९५५, षोडशकारण पूजा मंडल विधान --टेकचन्द १०३८,१११३ समाय--समय सुन्दर सज्झाय एवं बारहमासा हि ६७८ षोड़शकारए पूजा-सुमति सागर सं० २००४ सत्तर भेदी पूजा षोडशकारण भावना-पं० सदासुख कासनीवाल सतरी कर्म ग्रन्थ हित १७१ सत्तरी रूपठार १२०४ षोडशकारण व्रतोद्यापन हित ९ सतसई-वृदावन ६७७ षोड़शकारण प्रतोद्यापन-ज्ञानसार सं०६१५ सत्ता विभंगी - भा० नेमिचन्द्र षोड़शकारण अतोद्यापम पूजा-मुमति सागर । सत्ता स्वरुप ६१ सत्तागणु दूहा-बीरचन्द सदयवच्छामालिंगा १०३७, षोडशकारण व्रलोद्यापन षोडशकारण व्रतोद्यापन जयमाल प्रा. पद पवन सालिंगा चौपई षोड़श नियम समकुमार रास-ऊदौ षोडशयोग टीका ___२२० सन्तान होने का विचार हित ५६२ भ. सकलको तिनुरास-ब. सांबल हिन ६५६ सन्निपात कलिका सं५६१, ५६२ सप्त ऋषि गीत--विद्यानन्दि हि९७८ ससषि पूजा-थी भूषण सं० १००७ सप्तर्षि पूजा-- विश्वभूषण सं० ११७,६१८ सकल प्रतिबोध-दौलतराम हि सप्तर्षि पुजा-मनरंगलाल हि०६१ सकलीकरण सप्तर्षि पूजा - स्वरूपचन्द हि०१८ सप्त तत्व गीत हि९६२ सरलीकरण विधान सप्त तस्य वार्ता ११४० सकलीकरण विधान सं० ११७, सातति का सकलीकरण विधि सप्ततिका सूत्र सटीक प्रा० सकलीकरण विवि सं० ६१७ | सप्तदश बोल हि १७१ सखियारास-कोल्हा हि० १०८६ | सप्त पदार्थ वृत्ति सं० सगर चरित्र--दीक्षित देवदत सं० ४०६ सप्स पदार्थी-शिमादित्य सं० सगर प्रबन्ध-या नरेन्द्रकीति दि. ४६१ | राप्त पदार्थी टीका-- मात्र विद्येावर सं. सज्जन चित्त वल्लभ ६.६७, | सप्त परमस्थान पूजा १०५५ । सप्त परमस्थान पूजा-गंगादास सं० ६६६ सं. सं. १७१
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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