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गुटका संग्रह ]
पट्टाका कथा अष्टानिका रास
अशी कथा
चौरासीजाति की जयमाला
दशलक्षण कथा
आदित्यवार कथा
पुष्पाञ्जलि कथा
सुदर्शन सेठ कथा
मृगांका पपई सम्यक्त्वकौमुदी
चौरासी जाति को
यदि प्रन्व भाग निम्न प्रकार है
विश्वभूषण विनयकीर्ति
भैरू
ब्र० गुलाल प्रोसेरीलाल
अन्तिम पाठ
मानार्थ गुरुकीतिका
शिष्य सेवक
नन्द
भानुचन्य
०गुलाउ
दोहा - जैन धर्म त्रेपन क्रिया दयामं संयुक्त |
इक्ष्वाक के कुल बस में लीन ज्ञान उतपत्त ॥ नवा महोदय नेम को जूनागढ़ गिरिनार । जात चौरासी जैनमल जुरे छोड़नी चार ॥
२३. गुटका सं० १०२ । पत्रसं० ५४ । x पूर्ण वेष्टन ७६
र० काल सं० १७८७
र० काल सं० १७८८
प्रगटे ममी सोई धर्म वर्ग
करि जग्य विधान पुराण बंद दान निमित्त धनं खर अरु पढे । शुभ देहरे जंत्र सुवि प्रतिष्ठा सुभ मंत्र मंत्र सुमंत्र रखजै ॥ अथवा कोई कारण मंगल चारण विवाह कुटंब अनंत प । कहि ब्रह्म गुलाल ग सखो से प्रगटे लक्ष्मी गोई धर्म ने || इति श्री चौरासी जाति की जयमाल सम्पूर्ण ।
२० काल १६६३
२० काल सं० १८२५
मानतु ग्राचार्य उमास्वामी
विशेष – महापुराण उप (गंगादास ) एवं अन्य पाठों का संग्रह है ।
०७४ इच्च भाषा हिन्दी ने० काल
[ ६१
६२४०. गुटका सं० १०३ । पत्र सं० २६ से ८४ । मा० ६x४३ एच भाषा संस्कृत । ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० ६६७ ।
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विशेष- चारण सप्तक एवं महापुराण में से अभिकार कल्प हैं ।
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२४१. गुटका सं० २०४० २२६६३५३ भाषा हिन्दी प्राकृत-संस्कृत से० काल X पूर्ण वेन स० ७१
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विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है । भक्तामर स्तोत्र तत्वार्थ सूत्र
संस्कृत
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