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________________ गुटका संग्रह ] [ १०६३ १२५ धन्ना उपई नित्य पूजा पाठ नेभिश्वर रास धन्ना सज्भाय अ० रायमल्ल त्रिलोकप्रसाद हिन्दी १८२ ले०काल सं०१००१ पूगी संवाद २० काल सं० १६६३ २०१ संबल सोलस सटेबैत्र सुदि रविवार । नवमी दिन काला भावस्वो रास रच्यो सुविचार । विजागच्छ मांडणपुर वारा सूरदेव राज । श्री घनंदन दिने हुई सुसीस मुकाज । इति मृमी संवाद संपूर्ण । चौरासी जाति की उत्पत्ति श्रीपाल गरा ज. रायमल्ल २३२ पंम मंगस्त रूपचन्द जन्म कुण्डली १. साह रूपचन्द के पौत्र सथा टेकचन्द के पुत्र की सं० १८२५ का २. साह 'टेकचन्द की पुत्री (मानयाई) की सं० १८२६ की। प्रद्य म्न रासो ० रायमल्ल २० काल सं० १६२६ ले०काल सं० १९०७ पं. रडमल ने प्रतिलिपि की थी। भविष्यदत्त कथा ब्रह्मा रायमल्ल हिन्दी ३१२ अपूर्ण ६९००, गुटका सं० २ । पत्रसं० १६६ । प्रा०६३४४ इच । भाषा-संस्कृत । ले० काल ४ । पुणे । वेष्टन सं० १४८ । विशेष- सामान्य पूजा पाठों का हांग्रह है। ९.०१. गुटका सं० ३। पत्र सं० ८० । प्रा०६:४४ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० कान । अपूर्ण-जीणं 1 वैप्टन सं० १४६ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६६०२, गुटका सं० ४। पत्र सं० ७३ । प्रा० ६४५१ इन 1 भाषा-संस्कृत-हिन्दी । काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । विशेष-निम्न पूजात्रों का संग्रह है-- वृहद सिद्ध पूजा शुगनन्द गंस्कृत अष्टालिवा पूजा .
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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