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१. भक्तामर स्तोष
२, पद
१८६६. गुटका सं० १ पत्रसं० ३१२ ० ६६६ भाषा संस्कृत-हिन्दी ले०काल X पूर्ण वेष्टन मं० १५० ।
विशेष निम्न पाठों का संग्रह है 1
पद
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प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर ( बयाना )
विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी।
अठारह नाते का चौढाल्या तीन चोवीसी के नाम तथा चौपाई
-
प्रतिलिपि की थी।
नमजी की डोरी
पांवापुर गीत सालिभद्र चोग
विशेष
अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है
लक्ष्मणदास
राजमति सुनु हो रानी
घनश्याम
जरथ दूर गयो जब चेती लोहट
मेघकुमार दीव नन्दू की सप्तमी कथा श्रादित्यवार
इति श्री तोस चीपई नाम ग्रंभ समाप्ता
० माशु
राम
जिनराजसूर
० काल सं० १६७० चासो मुदी १
जयपुर के पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिनिधि हुई थी। विराम
मो
।
हिन्दी
भाऊ
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नाम बोई ग्रंथ में रम्यो नाम हम विस्याम | जैसराज सुत ठोलिया जोबिनपुर सुभवान। सत्तरासै उनचास में पुरण ग्रंथ सुभाष चैत्र उजासनी पंचमी विजैसिंह नृपराय । एक बार जो सरभहै अथवा करखी पाउ नरक नीच गति के विष
रोपे कीली गाढ |
रूपसम्पजी विजेरामजी विना कामली के ने
हिन्दी
[ प्रश्थ सूची- पंचम भाग
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१३
संस्कृत हिन्दी
४ अंतरे
३ अंतरे
६६-६० पत्र ए०० १७४६ जे० काल सं० १८०६
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७६
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०काल सं० १००३ मादमा बुदी ११ ।
कासनी के ने प्रतिलिपि की थी।
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