________________
६७२]
दोहा -..
वार्ता
T
सहर प्रभावती बोली मारग बहुतां दभिका किसी वृद्धि उपाई यह बाह्मण या किस प्रकार कीयो वा कहे अभिलाषा नाममा थिति लोचन नाम ब्राह्मण गांव पल तिसरे दभिका मान स्त्री तिरै कामरी अभिलाषा गरिए वे हरे मांटी हृषितो कोई मधे नहीं एक दिन भिका पडसे पाणी ने गई ती पारि भरि से पात्रता एक बटाउ जुवान सरूपदीठो बहन क्रीडा र साई आखिरी सेन दे बुलायो । घर पूछियो तू कौसा वै कही हूं भाट । श्रागे मांगा ने जात्र छौं । भिका को आजि खति माह ही रहयो ।
६३०१. गुटका सं०] १६४० २ ० ६५ भाषा हिन्दी ० का ० १६८६ पौष सुदी १० पूर्ण वेष्टन [सं०] ८६५
विशेष – निम्न रचनाओं का संग्रह है।
-
शुद्धिप्रकाश चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न
द्वादशानुप्रेक्षा
लेश्या वर्गान
[ ग्रन्थ सूची- पचम भाग
जो भायें प्रभावती सो मोनु न सहाय मारग जाता देविका ज्यो हो वृद्धि मुहाव करि सोलु जाकर विरज बुद्धि विचारि। ब्रह्म मार्ग का जिस हो कीये प्रकास ।। २४ ।।
'रेमन' गोट
ज्येष्ठ जिनवर व्रत कथा
मेघकुमार गीत
मनकरहा जयमाल
कहि
व्र० रायमल्ल
अ० जिनवास
छील
ब० रायमल्ल
पूनो
बुद्धिप्रकाश कfa ल्ह पत्र सं० १६-२६ तक
भूलो पंथ न जाय सीहालो जीवा पंथी न जाह उन्हालो । सावणी भादवी गाय न जाने आसोजा मौ भौयन सोजो ।। १६ ।।
धरि न्हाय उतरी जे घाटे कन्या न बेची गर पाहुणे साया आदर दीजे, आपगा सारू भगति करीजे
अरचीतो कम नौहि खाजे, अगर पिछाण्या की साथी न आजे । जाय दिसावरि राती न सोजे, चालतपंथी रोस न कीजे ।। १७ ।।