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प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ]
६३. प्रतिसं०६ । पत्र सं० १३४ । ले। काल X । पूर्ण ( ८ अध्याय तक ) । वेष्टन सं० १६।५५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी, दौसा ।
विशेष-पथसं० २५ तक गाथाओं के ऊपर हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है । इसके बाद बीच में जगह २ अर्थ दिया है । भाषा पर गुजराती का अधिक प्रभाव है ।
६४, प्रतिसं०७–पत्रसं० ७५ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।
६५. प्रति सं०८ । पथसं० २-१३ । प्रा० १२४४ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण | वेष्टन सं० २८८ । ६५५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।
विशेष-प्रति प्राचीन है । अन्तिम पत्र के प्राधे हिस्से पर चित्र है।
२६. प्रतिसं०६पत्र सं० १२२ । ले० काल सं० १५३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर बसवा।
विशेष-- प्रति सचित्र है नया चित्र बहुत सुन्दर हैं । अधिकतर चित्रों पर स्वर्ण का पानी या रंग चढ़ाया गया है । चित्रों की संख्या ३६ है। शप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बसन्ना ।।
६७. कल्पसूत्र टीका-X । सं० १२ । पा० १०४४ इथ। भाषा-गुजराती । विषयप्रागम । र० काल-x। ले० काल-- । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान----दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी।
विशेष-प्रति प्राचीन है लिपि देवनागरी है ।
६८. कल्पसूत्र बालावबोध-X । पत्रसं० १२८ । पा० १०४४ इन्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी । विषय-पागम । र० काल-x। ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५० 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का, डूगरपुर ।
६६. कल्पसूत्र वृत्ति-X । पत्रसं० १४० ।। प्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-प्रागम ! २० काल-४ । ले० काल---४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बून्दी ।
विशेष-१४० से मागे पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है । प्रथम पत्र पर सरस्वती का चित्र है ।
१००. कल्पसूत्र वृत्ति-X । पत्रसं० १८३ । भाषा-प्राकृत-गुजराती लिपि देवनागरी । विषय-आगम । २० काल-x। ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बसना ।
विशेष-श्री जिनन्वन्द्रमुरि तेह तरणी मालाइ एवंविध श्री पyषणीपर्व आराधनउ हुतउ श्रीसंध प्राचन्द्रार्फ जयवंत घराउ ।
१०१. कल्पाध्ययन सूत्र-x 1 पत्र सं० १०२ । भाषा-प्राकृत । विषय-पागम 1 र० काल- । लेकाल सं १५२८ कातिक बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०-२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बसवा ।
विशेष-संवत् १५२८ वर्षे कार्तिक बुदी ५ शनौ तदिने लिलिखे । प्रति सचित्र है तथा इसमें ४२ चित्र हैं जो बहुत ही सुन्दर हैं ।