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________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष महाराजा सवाई प्रतापसिंह के शासन काल में पं० रनचन्द्र ने जयपुर के लश्कर के मन्दिर में पूर्ण किरण तथा प्रारम्भ "चम्पाप्रती नगर में किया । ग्रन्थ का नाम "जैन सिद्धान्त सार" भी दिया है जिसको दवालिलक ने प्रानन्द राय के लिये रचा था । ३४५. चौबीस ठाणा चर्चा-X. पत्र सं० १० । आ० १६४ ११३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय---सिद्धान्त । २० काल । ले० काल सं० १९४३ आषाढ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान--पाश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगड, (कोटा) विशेष-.-बड़ा नक्शा दिया हुआ है। . ३४६. चौबीस ठाणा चर्चा-श्रा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० २६ । याः १०३४४६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धांत । र०काल x 1 ले० कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३४७. प्रतिसं०-२ पत्र सं. ३०। मा० १.१४४, इव । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ९६६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ३४८, प्रतिसं०३ पत्र सं० २८ । ले० काल-सं० १६२८ श्रावणं बुदी ५ । वेष्टम सं २२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष-ठाकुरसी ने ब्राह्मण चिरंजीव राजाराम से प्रतिलिपि कराई थी। ३४६. प्रति सं० ४ पत्र सं० ३२ । ले० काल-। वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर। विशेष प्रति संस्कृत टिप्परण सहित है । कृष्णगढ़ के चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ३५०. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ५२ । लेकाल-सं० १७८४-फागुण सुदी १२ । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है - - संवत्सरे १७८४ फागुणमासे शुक्लपक्ष द्वादशतिथौ रविवारे उदयपुरनगरे श्रीपार्श्वनाथ चैत्यालये श्री मलसंत्रे भट्टारकेन्द्र भट्टारकजी श्री १०८ देवेन्द्रकीतिजी प्राचार्य श्री शुभचन्द्रजी तत् शिष्याचार्यवर्मावार्यजी श्री १०८ क्षेमकीत्ति जी तद्रिष्य पांडे गोर्द्धनात्यस्तेनेदं पुस्तकं लिस्तितं । ३५१. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ३० । ले० काल सं० १५५ । पूर्ण 1 वेशन सं० १७५-७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ३५२. प्रति सं०७ पत्र सं० २६ । ले० काल म०. १७३१ । पूर्ण । देष्टत सं० ११०/११ । प्राप्ति स्थान--अग्रवाल दि० जनमन्दिर उदयपुर ।। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है- संवत् १७३१ वर्षे प्राषाढ़मासे खुदी ६ शुक्र श्री गिरिपुरे श्री आदिनाथ चैत्यालये श्री काष्टासंधे नंदीतटगच्छे विधागणे भट्टारक श्री राजकीर्ति व श्री अमयरुचि पठनार्थ । ३५३. प्रतिसं०८ । पत्र सं० २६ ! ले. काल सं० १७१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१२ । १६७ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि० जन मन्दिर उदयपुर ।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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