________________
नाटक एवं संगीत ]
[ ६०७
१९२१ श्री रवी बलात्कार कुंदकुदानावय भ० पचनन्दिट्टे भट्टारक सकलकीर्ति उता वनकीति तता मट्टारक ज्ञानभूषणदेवा तत्पट्टे भट्टारक तत्पष्ट विजयदेवात् मट्टारक चन्द्रदेव तत्पट्ट भट्टारक सुमतिकीर्तिदेवा आता प्राचार्य श्री सकलभूषण शुरुपदेशात्र शिष्य प्र० हरखा पदार्थ मीलोडा वास्तव्य हुबडजातीय दो. मुसा भार्या बा. प्रतिनि यो त धर्मभारपुरंधर जिनपूजापुरदर पाहाभययशास्त्रदान वितरकतत्पर जिनशासन गार हार दो संकर भाव समये एतेषां मध्ये दो. शंकररतेन स्वज्ञानावरणी कर्म क्षयार्य श्री मदन पराजय नाम शास्त्र लिखाप्य दत्त
त्रा. शिवाय तत् शिष्य पंडित वीरभाग पटना।
प्रा० १० X ४] इ
५६२७. प्रति सं० ६ पत्रसं०] १२ ख़ुदी । पूर्ण वेष्टनसं० १६७ । प्राप्ति स्थान
काम सं० १६६० बैशाख दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी।
प्रशस्ति - संवत् १६६० वर्षे मिती वैशाख मासे शुक्ल पक्षे नवम्यां तियाँ रविवासरे श्री मूलसंधै याम्ये सरस्वतीच्छे कुंदकुंदाचाये मंडलाचार्य श्री नेमिचन्द्र जी पट्टे मंडलाचार्य श्री यशकीर्ति सच्छिष्य ब्रह्म गोपालदास स्टेनलिपिकृतमिदं मदनपराजयाह्वयं स्वात्मपठनार्थ कृसनगढ मध्ये |
५६२८. प्रतिसं० ७ पण सं०] ५१ ३०३२६ प्राप्ति स्थान
--
—
मा० १० x ५ इन्च लेकास सं० १८४२ चैत वृदि दिन मन्दिर पाश्र्श्वनाथ चौगान बूंदी।
० १०३ ४ ५ दश । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं०
५६२६. प्रति सं० ८ प ० ३१
१३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी |
}
५६३०. प्रतिसं० १ पत्र ०८२० X ४३ । ले० काल x पूर्ण बेटन सं० १३८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी।
५६३१. प्रतिसं० १० । पत्र [सं० ५९ ० कान पूर्ण सं० ५५-३५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डुंगरपुर 1
वखतराम साह । पत्र सं० १८३ । भाषा हिन्दी । विषयफा०] १९१२ पासोज सुदी १३ पूर्ण
५६३२. मिथार खंडन नाटक
नाटक २०फाज सं० १८२१ पोष सुदी ४ १४६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर ।
५६३३. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १०२ ॥ श्र० १०३४ ६०क० १८५७ चाचाद सुदी १५ पूर्ण बेत सं० २६-६७ स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विशेष तक्षिकपुर में पं० शिवजीराम ने सहजराम न्यास से लिखवाया था। ५६३४. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १८ । आ० ९ ४ ६ इंच । ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं १२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ।
५६३५. प्रतिसं० ४ पत्र सं० १६ से ११२०६६इ ले काल सं० १८४५ अपूर्ण सं० १९२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिरे राजमहल टॉक
1:
५३६. प्रतिसं०] [५] एवं सं० १०१ पा० १० X ४ इका० १०८८ पूर्ण । वेटन सं० ५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) | विशेष-दूनी के जैन मन्दिर में सं० १९३६ में हजारीलाल ने चढाया था।
11