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________________ ५०. ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ४ . होमोमा । सं. ३ । १११x६ञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०कात्र ४ । लेक काल सं० १८९० । पूर्ण । वेष्टन सं०१७७-७५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर । ४९0०. होली कथा-मुनि शुभचन्त। पत्रमा १४ । प्रा०x४१ इन्च । भाषा--- हिन्दी (पद्य) | विषय-कथा । र०काल स. १७५५ । लेकाल . १८६४ । पूर्णं । वेष्टन सं०६३। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष- इति श्री धर्म परीक्षा प्रति वृत प्राचारिज शुभचन्द्र कृत होली कथा संपूर्ण । प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्री मूलसप भट्टारक मत, पट्ट पामेरि महा गुणवंत । नरेन्मकीर्ति पाट सोहंत, सुरेन्द्रकीति भट्टारकवंत ॥११६॥ ताके पाटि धर्म को थभ, सोहै जगतकीति कुलथंभ । क्षमावंत शीतल परिनाम, पंडित कला सोहै गुण धाम ॥११॥ ता शिष्य याचारिज मेष. लीया सही सील की रेख। मुनि शुभचन्द्र नाम प्रसिद्ध कवि कला में अधिकी बुद्धि ।।११।। ताके शिष्य पंडित गुराधाम, नगराज है ताको नाम । मेधो जीवराज अन जोगी, दिव चोखो जसो शुभ नियोगी ।।११६।। देस हाडौती सुबर्स देस, तामें पुर कुजड कही........। ताकी शोभा अधिक अपार, नसियां सोहै बहुत प्रकार ।।१२।। हाहायशी महा प्रचण्ड, श्री रामस्यंध धर्म को मांड। ताके राज खुशाली लोग, धर्म कर्म को लीहा राजोगा ।।१२१॥ तिहां पौरा' छूतीसू क्रीडा कर, आपणो मार्ग चित्त में धरै । श्रावक लोग बरा तिहथान, देय धर्म गुरू राखे मान ॥१२२ । श्री चन्द्रप्रभ चैतालो जहाँ, ताकी सोभा को लग कहां । तहाँ रहे हम बहोत स्नु श्याल, श्रावक की देख्या शुभ चाल । सात उदिय कियो शुभकर्म, होली का बनाई परम ।। भाषा बंध चौपई करी, संगति भली ते चित में धरी ॥१२४।। मुनि शभचन्द करी या कथा, धर्म परीक्षा में छी जथा। होली कथा सन जो कोई, मुक्ति तणा, सुख पावै सोय ।। संघस सतरासै परि जोर, वर्ष पचायन अधिका और ॥१२६।। साक गरिण सोलाछबीस, चंत सूदि सात फट्टीस । ता दिन कथा संपूरण भई, एक सो तीस चौपई भई ।। सायदिन में जोडी पति, दोन्यू दिसा कुशलात ॥१२७।। संघत १८६४ में साह मोजीराम कटारया ने राजमहल में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि कराई थी। ४६०१. होली कथा--छीतर ठोलिया। पत्र सं० १० । प्रा० ७३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी प० । विषय-कथा । २० काल सं० १६६० फाल्गुण सुदी १५ । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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