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________________ ३३० ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग जगमाल तस्य भातृ सं० जयमाल भार्या जयतादे तस्य भगनी पूर्व पुण्यार्पित पूर्ण चलित नभए सपना सभतृ मसोया पक्ष तिलकोपमा सीतेन सीता संमामाधाविका जयवंती द्वितीया मगनी मांका निमित्व जीवंघर चरित्र शास्त्रं लिखाप्यदत्तं कर्मक्षयार्थ ३३५८. जीवन्धर सरित्र - रघु । पत्र सं १८५ । मा० ११२४ इन्च भाषाअपभ्रंश | विषय - चरित्र । र ४ । संबुद ७ वेष्टन सं० ९४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष - अकबर के शासनकाल में रोहितगड दुर्ग में बातचन्द सिंगल ने मंडलाचा सहकीर्ति के लिए पांडे केसर से प्रतिलिपि करवायी थी। प्रशस्ति काफी बड़ी है। 1 ३३५९. जोनम्बर चरित्र- दौलतराम कासलीवाल । पत्रसं० ६० | इन्च भाषा हिन्दी (पच) विषय- चरित्र । १८०५ । पूर्णं । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान पा० १०x २० काल सं० १८०५ भाषा सुदी २ ले० काल सं० दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – स्वयं अंधकार के हाथ की लिखि हुई मूलप्रति है। इस ग्रंथ की रचना उदयपुर धानमंडी अग्रवाल जैन मन्दिर में सं १८०५ में हुई थी। यह ग्रंथ यत्र तक प्राप्त रचनाओं के अतिरिक्त है तथा एक सुन्दर प्रबन्ध काव्य है । ३३६०. जीवन्धर चरित्र प्रबन्ध-भट्टारक यशः कीर्त्ति पत्र सं० २१ भाषा - हिन्दी । । । विषय - चरित्र । २० काल X | ले० काल सं० १८६३ भादवा बुदी १४ पूर्णं । वेष्टन सं० १०७ : ६१ । प्राप्ति स्थान वि० जैन भवनाथ मन्दिर उदयपुर । । विशेष- दक्षिणदेश में मुरमग्राम में चन्द्रप्रभु चंव्यानय में इंमज्ञातीय लघुशासा में शई ज्येष्ठी ताराचन्द बेटी श्री गुजरदे मुई (मुंबई) ग्रामे ज्ञानावरणकर्म अवार्थ वस्त्रदान करनाव । ३३६१. जीबन्धर चरित्र - तथमल विलाला । पत्रसं० २०५ | आ० १४६×८३ इंच । भाषा - हिन्दी पञ्च | विषय - चरित्र । र० काल सं० १८३५ कार्तिक सुदी 8 | ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं०८ प्राप्ति स्थान वि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। I विषय—गोरखराम की धर्मपत्नी जया की माता ने बीर सं० २४४२ में बड़े मंदिर फतेहपुर में चढ़ाया था। ३३६२. प्रतिसं० २ पत्र सं० ४४ प्रा० ९४६ इन्च से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ५७ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ जोगन बंदी ३३६३. प्रति सं० ३ ० १३ प्रा० १२४६ इले० काल X। पू । बेष्टन सं १५० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। । । ३३६४, प्रति सं० ४ ० १६१ ० ११३५५३ इंच से भाल X। पूर्ण । ले०काल वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--- दि० जैन मन्दिर पंचायती करौली । विशेष करौली में दुलाल ने जिवाया था। ३३६५. प्रतिसं० ५ पत्र सं० ११४० १२४६३ इच। वे० काल । पू । वेष्टन सं ०६५ - ११४ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दोसा । विशेष-तेरापंथी चिमनसान ने प्रतिलिपि की थी।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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