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भरतपुर
राजस्थान प्रदेश का भरतपुर एक जिला है। जो पर्याप्त समय तक साहित्यिक केन्द्र रहा था । बज भूमि भूमि में होने के कारण यहां की भाषा भी पूर्णतः व्रज प्रभावित है। भरतपुर जिले में भरतपुर, डीग, कामा, वयाना,बैर, कुम्हेर प्रादि स्थानों में हस्तलिखित गथों का अच्छा संग्रह है।
भरतपुर नगर की स्थापना मूरजमल जाट द्वारा की गयी थी। १८ वी शताब्दी को एक कवि शुतसागर ने नगर की स्थापना का निम्न प्रकार वर्णन किया है -
देशा काठड्ड विजि मैं, वदनस्यंघ राजान ।
ताके पुत्र है भलो, सुरिजमल गुरधाम । तेज पुज रांध है भयो लाभ कीति गुणवान । ताको सुजस है जगत मैं, तपै दूसरों मान ।
ठिनह नगर अब साइयो नाम भरतपुर तास । शास्त्र भण्डार दि. जैन पंचायतो मंदिर भरतपुर
ग्रंथों के संकलन की दृष्टि से इस मन्दिर का शास्त्र भण्डार इस जिले का प्रमुख मण्डार है। सभी प्रथ कागज पर लिखे हए हैं। शास्त्र भण्डार की स्थापना कब हुई थी, इसकी निश्चत तिथि का तो कहीं उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मन्दिर निर्माण के बाद ही जिले के अन्य स्थानों से लाकर यहां ग्रथों का संग्रह किया गया। १६ वीं शताब्दी में मथों का सबसे अधिक संबह हुमा । भण्डार में हस्तलिखित ग्रथों की संख्या ८१ है जिनमें संस्कृत एवं हिन्दी भाषा के हो अधिक मथ हैं। सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि बृहद तपागच्छ गुर्वावली को जो मुनि सुन्दरसूरि द्वारा निर्मित है तथा जिसका लेखन काल संवत् १४६० है । इसी भण्डार में संवत् १४६२ की दूसरी पाण्डुलिपि है। इसके अतिरिक्त गंगाराम कवि का सभाभूषण, हर्षचन्द का पद सग्रह, विश्वभूषण का जिनदत्त भाषा, जोधराज कासलीवाल का सुख विलास को पाण्डुलिपियां उल्लेखनीय है। इसी भण्डार में भक्तामर स्तोत्र की एक सचित्र पाण्डुलिपि हैं जिसमें ५१ चित्र है । मध्यकाल को शैली पर चित्रित सभी चित्र कला, शैली एवं कलम की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं । इम पाण्डुनि का लेखन काल संवत् १८२६ है। जैन कला की हाधि से कलाकारों को इस पर विशद प्रकाश डालना चाहिये ।
शास्त्र भण्डार दि० जन मन्दिर फौजूम भरतपुर नगर का यह दूसरा जैन मन्दिर है जहाँ हस्तलिखित न'थों का संग्रह है। मन्दिर के निर्माण को अभी अधिक समय नही हुया इसलिये हस्तलिखित पंपों का संग्रह भी करीब १०० वर्ष पुराना है। इस भण्डार में ६५ हस्तलिखित प्रथों का संग्रह है। इसी भण्डार में कुम्हेर के गिरावरसिंह की तत्वार्थसूत्र पर हिन्दी गद्य टोका उल्लेखनीय कृति है। इसकी रचना संबत् १९३५ में की गयी थी।
शास्त्र भण्डार पंचायती मन्दिर, 'डोग (नयी) 'डीग' पहिले भरतपुर राज्य को राजधानी थी । अाज भी फवारों की नगरी के नाम से यह नयर प्रसिद्ध है। पंचायती मन्दिर में हस्तलिखित ग्रंथों का छोटा सा संग्रह है जिसमें १ पाण्डुलिपियां उपलब्ध होती