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पत्र सं० १७ ०९३६इ ले० काल सं० १८८६ पूर्ण दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली
पूजा एवं विधान साहित्य ]
८६७५ प्रतिसं० २।
वेष्टन सं० ६० प्राप्ति स्थान
८७६ प्रति सं० ३ पत्र ० ६ ० १०३८७ इन्च ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ५२ / १२५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ।
८६७७ प्रति सं० ४ पत्रसं० २५ । ०७३ X ५३ इंच । ले०काल सं० १८८५ फाल्गुन सुदी ७ पूर्ण वेष्टन सं० ३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सोचारणी करौली ।
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८७. सम्मेदशिखर पूजा सेवकराम हिन्दी विषय-पूजा २० काल सं० १९९१ मा बुदी ५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना ।
प० २२० १०२४६६ भाषाले० काल सं० १९११ पूर्ण वेष्टन सं० ११५
विशेष - नाई के मन्दिर में मुखलाल की प्रतिलिपि की थी। ८९७६. सम्मेदशिखर पूजा - संतदास । पत्र सं० ३ | विषय-पूजा २० काल x ० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ५७९
लश्कर जयपुर ।
८६८० सम्मेदशिखर पूजा - हजारीमल्ल । पत्रसं० २४ । प्रा० १२४५ इव । भाषाहिन्दी पद्य विषय पूजा र०काल XI ले फाल सं० १९३२ । पूर्ण वेटन सं० ६१ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूंदी।
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विशेष – मथुरादास ने साहपुरा में प्रतिलिपि की थी। राहसमल विनती करे हे किरपानिधि देव आवागमन मिटाये परजी यह सुन लेव ॥
८१. सम्मेदशिखर पूजा - ज्ञानचन्द्र पत्र [सं० १४ हिन्दी पद्य विषय-पूजा र०काल सं० १९६६ चैत सुदी २ । ले० काल १५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। प्रारम्भ-शिवर समेद से बीस विनेश्वर सिद्ध भये ।
और मुनीश्वर बहुत वहां से शिवमये ॥ बेदू मन वच काय नमू शिर नायके । सिष्टें श्री महाराज सर्व इन आयके || अन्तिम उन्नीस ग्राम के मांही ।
संवत विक्रम राज चंत सुदी दोयज दिन जान
कराही ||
देश पंजाब लाहोर शुभ स्थान ॥
पूजा शिवर रवी हरवाय
० १०३४ प्राप्ति स्थान
मा
सं०
। भाषा - हिन्दी । दि० जैन मन्दिर
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5 X | भाषा
६६ व १९८६ | पूर्ण वेग्टन सं०
नमें ज्ञानचन्द्र शोध नमाय ।।
इसके अतिरिक्त निर्धारण क्षेत्र पूजा शानचन्द्रकृत और है जिसका र०काल एवं लेखन काल भी नही है।