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________________ ७० ] १४५६७। बंदी की तहान तत्ता इतिनायन्या ॥ १ ॥ C हयाख्यासाची वस्तुनउ स्वरूप ते तत्व कहिये । ते सम्यगटिन जाण्या चाहियउ | तेह भरणी पहिली तेहना नाम लिखियइ छ । पहिलिउ जीव तत्र वीजउ श्रजीव तत्व पुण्य तत्व ३ पाप लव ४ प्राश्रव तत्व ५ संवर तत्व ६ निर्जरा तस्य ७ । बंच तत्व मोल तत्व तथा ए नव तत्व होंहि विवेकीण जाणिवा अन्तिम प्रनउसपिणी प्रतापुरगाल परिश्रट्टो मुन्यो । तालिम प्रदा श्रग गया मरणंतुगुणा || व्याख्या - अनंत उत्सर्पिणी बसरिणी एक युगल परावर्त होइ । मुख्यव्वो कहतां जाणिवउ 1 ते पुगल परावतीत कालि अनंता अनागत कालि अनंतगुरणा इहां कहि उपग्रह थी जिन वचन हुई प्रमाणं इति नद तत्व सध्दार्थ समाप्तः । से ग्रन्थ सं० २७५ संत १६६० व वैशाल मासे कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथी सोमवासरे धर्गसापुर मध्ये फोफलिया गोत्रे सा० रेखा तद्भार्यां रायजादी पठनार्थ ७१०. भवतत्व सूत्र X। काल - X लेशान - X पूर्ण भरतपुर । [ प्रस्थ सूची- पंचम भाव पत्रसं० ८ भाषा वेटन सं०-६१४ - ७११. नाम एवं मेव संग्रह - ०.२१ भाषा हिन्दी विषय सिद्धांत र०काल — X। ले० काल - X | वेष्टन सं० ४५४ प्राप्ति स्थान दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । प्राकृत विषय नत्र तत्वों का वर्णन १० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, ७१२. नियलाबति मुत्त X पत्रसं० २८० १० X ४ ३ भाषा प्राकृत - | विषय - आगम | र० काल X 1 ले० काल सं० १३०१ फागुन बुदी १४ । पूर्ण । देन सं० १ । प्राि स्थान- दि० जैन मंदिर खंडेलवाल उदयपुर । - विशेष सं० १९४० में भीमराज की बहू ने पढ़ाया था ७१४. प्रतिसं० २० १६४ मा ६३६ ॥ वेष्टन सं० १४२१ | प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । 11 www व सं० १०३ ७१३. नियमसार टीका- पद्मप्रभमलधारिदेव ० ११३४५१ इच भाषा संस्कृत विषय सिद्धांत २० काम x ले० काल x पूर्ण [सं०] १५२ प्राप्ति| । १ स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । - -- | - सूक्ष्म १५. ४४ पैसे इव | -- ते० काल सं० २०३५ पूर्ण । । ७१५ प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ८३ । प्रा० १०३ ४ ५ इव । ले० काल सं० १७६५ मङ्गसिर ख़ुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० १२ प्राप्ति स्थान दि० अंन मन्दिर दीवानजी कामा । । ७१६. नियमसार भाषा जयचन्द हावडा । पत्रसं० १५२ । ० १२३४७ इच भाषा - हिन्दी गद्य विषय सिद्धान्त १०का वीर सं० २४३८ । ले० काल सं० १६६४ पूर्ण बेटन सं० ११२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बृदी । विशेष – चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी ।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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