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२. गुरु जयमान ३. पट्टावली विशेष – ब्रह्म रूपसागर ने बारडोली में प्रतिलिपि की थी। १०३०१. गुटका सं० १६ । पत्रसं० २४० ले० काल x । पू । वेटन सं० ४६६ ।
विशेष – नित्य नैमिसिक पूजा पाठ संग्रह है। प्रति प्राचीन है ।
१०३०२. गुटका सं० २० ।
X पूर्ण वेष्टन ०४६८ ।
विशेष—धायुर्वेद के नुसखों का संग्रह है ।
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२. मुनिमालिका
अन्तिम---
जिनदास
x
१०३०३. गुटका सं० २१ पत्र० ७७ ० ६३४३ भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण न सं० ४६७।
विशेष मुख्य निम्म पाठ हैं
१. गौतमस्वामी रास
२. चौबीस दण्डक
इति श्री मूनिमालिका संपूर्ण
पद संग्रह
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० २२५ मा० ७४४३ इय भाषा हिन्दी ० काल
विनयप्रभ
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
गजसागर
ले० काल सं० १७५७
चारित्रसिंह
प्रा० ५x४३ इख भाषा संस्कृत प्राकृत
हिन्दी
र०काल सं० १४१२
ले०का सं० १७१९
से काल सं० १६३२
संवत् सोल बोस ए श्री विमलनाथ सुए साथ दीक्षा कल्याणक दिने गूंथी थी सुनिमाल ॥१२॥
श्री रिीपुरे रलिया मली थी शोसल जिराचन्द । सूर विजय रार्ज तदा संघ अधिक आनंद ॥ ३३॥
श्री मतिभद्र सुगुर त सु पसाये सुखकार 1
मनुहर श्री मुनिमालिका गा गए परिमल पूर ।। ३४ ।। महामुनीसर गांवता सुर तह सफल विहारा भ्रष्ट महानिधि घरं फलं सदा सदा कल्याल ||
विमलगिरि, दुर्गादास आदि के
२०३०४. गुटका सं० २२० १३१ ० ५३४ ६ इन्च भाषा-हिन्दी ले० काल ★ पूर्ण वेष्टन सं०० ४६६ ।
विशेष निम्न पाठों का संग्रह है।