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________________ ११५६ ] २. गुरु जयमान ३. पट्टावली विशेष – ब्रह्म रूपसागर ने बारडोली में प्रतिलिपि की थी। १०३०१. गुटका सं० १६ । पत्रसं० २४० ले० काल x । पू । वेटन सं० ४६६ । विशेष – नित्य नैमिसिक पूजा पाठ संग्रह है। प्रति प्राचीन है । १०३०२. गुटका सं० २० । X पूर्ण वेष्टन ०४६८ । विशेष—धायुर्वेद के नुसखों का संग्रह है । - २. मुनिमालिका अन्तिम--- जिनदास x १०३०३. गुटका सं० २१ पत्र० ७७ ० ६३४३ भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण न सं० ४६७। विशेष मुख्य निम्म पाठ हैं १. गौतमस्वामी रास २. चौबीस दण्डक इति श्री मूनिमालिका संपूर्ण पद संग्रह - ० २२५ मा० ७४४३ इय भाषा हिन्दी ० काल विनयप्रभ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग गजसागर ले० काल सं० १७५७ चारित्रसिंह प्रा० ५x४३ इख भाषा संस्कृत प्राकृत हिन्दी र०काल सं० १४१२ ले०का सं० १७१९ से काल सं० १६३२ संवत् सोल बोस ए श्री विमलनाथ सुए साथ दीक्षा कल्याणक दिने गूंथी थी सुनिमाल ॥१२॥ श्री रिीपुरे रलिया मली थी शोसल जिराचन्द । सूर विजय रार्ज तदा संघ अधिक आनंद ॥ ३३॥ श्री मतिभद्र सुगुर त सु पसाये सुखकार 1 मनुहर श्री मुनिमालिका गा गए परिमल पूर ।। ३४ ।। महामुनीसर गांवता सुर तह सफल विहारा भ्रष्ट महानिधि घरं फलं सदा सदा कल्याल || विमलगिरि, दुर्गादास आदि के २०३०४. गुटका सं० २२० १३१ ० ५३४ ६ इन्च भाषा-हिन्दी ले० काल ★ पूर्ण वेष्टन सं०० ४६६ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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