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________________ गुटका संग्रह ] [ ११५७ प्रारती संग्रह, विजया सेठनो वीनती, सुभद्रा बीनती, रत्लगुरु वनिती, निर्वाण काण्ड माषा, चन्द्रगृप्त के सोलह स्वप्न, चौबीस तीर्थकर बीनती, गर्भवेति-देवमुरार नारेमास गरभ में रह्यो ते दिन प्राणी विसरि गयो। देवमुरार जो श्रीनती कहीं ___मापेन पाई प्रभु याये लाहि ॥७॥ बलभद्र' बीनती, जिनराज बीनती, विनती संग्रह आदि हैं। १०३०५. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ११२। प्रा० x । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ४६५ । विशेष-निम्न लिखित पाठ हैं१. पंच कल्याणक रुपचन्द हिन्दी २. दिल्यावार कथा भानुकोति ३. धन-लसरास प्र.जिनदास मंत्र तथा यंत्र भी दिये हैं। १०३०६. गुटका सं० २४ । पत्र सं० २१ । या०६४६ इन्च । भाषा-संस्कृति । लें काल । पूर्ण । वेष्टन सं. ४६४ । विशेष-केथल पूजाए हैं। १०३०७. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ८७ । प्रा० Ex५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १८१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६३ । विशेष-निम्न पाठ हैं१. भइली विचार ज्योतिष विशेष-पाचोता में लिया गया था। २. सम्मेद विलास देवकरण हिन्दी अन्तिम लोहाचार्य मुनिंद मुधर्म बिनीत है। तिन कृत गाथा बंध सनथ पुनीत है ॥ साह तने प्रबुसार सम्मेद विलास जु। देवकरण विनवं प्रभु को दासजु ॥ श्री जिनवर कू सीस नमावं सोय । धर्म बुद्धि तहां संचरे सिद्ध पदारथ सोय । ३. जीनदया चंद ४, अंतरीक्ष पार्श्वनाथ छंद भाव विजम ५. रेखता मांड़का भूधर
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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