________________
२२ पद्मचरित टिप्पण (२०७१)
रविषेामं कृत पद्मचरित पर श्रौर कुछ प्रमुख एवं कठिन शब्दों लिखा लश्कर के मन्दिर में संग्रहीत है। श्रीचन्द्र शताब्दी के विद्वान थे।
( बोबेस )
पुराण साहित्य
श्रीषन्द मुनि द्वारा लिखा हुआ यह टिप्पण है। टिप्परण संक्षिप्त है गया है। प्रस्तुत पाण्डुलिपि संवत् १५११ की है जो जयपुर के मुनि अपभ्रंश भाषा की रचना रत्नकरण्ड के कर्ता थे जो १२ वीं
२३ पार्श्व पुराण (३००६
अपश के प्रसिद्ध कवि र विरचित पार्श्वपुराण की एक प्रति शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर शेरवी कोटा में संग्रहीत है। पार्श्वपुराण अगम की सुन्दर कृति है।
२४ पुरारपसार (३०१३)
सागर सेन द्वारा रचित पुराणसार की एक मात्र पाण्डुलिपि वा में संग्रहीत है। कवि ने रचनाकाल का उल्लेख नहीं किया है लेकिन यह पड़ती है। कृति अच्छी है। महारक सकलकीति ने जो पुराणसार ग्रंथ भावार पर ही लिखा गया था।
भण्डार दि० जैन मन्दिर अजमेर ११ वीं शताब्दि की रचना मालूम लिखा है संभवतः वह इस कृति के
२५ वर्धमानपुराण मावा (३०८२)
बर्द्धन स्वामी के जीवन पर हिन्दी में जो काव्य सिखे गये हैं अभी तक प्रकाश में नहीं बाये हैं । इसी ग्रंथ सूची में वर्द्धमान पर कुछ काव्य मिले हैं और उनमें नवलरामविरचित षमान पुराण भाषा भी एक काव्य है । यह काव्य संवत् १६६१ का है | महाकवि बनारसीदास जब समयसार नाटक लिख रहे थे तभी भगवान महावीर पर यह काव्य लिखा जा रहा था। नवलराम बुदेलखंड के निवासी थे और मुनि सकलकोति के उपदेश से नवलराम एवं उनके पुत्र दोनों ने मिल कर इस काव्य की रचना की मी पाव्य विस्तृत है तथा उसकी एक प्रतिदिनी मन्दिर कामां में उपलब्ध होती है।
२६ वर्षमानपुराण (२०७०)
वर्षमान स्वामी के जीवन पर यह दूसरी कृति है जिसे कविवर नवल शाह ने संवत् १८२५ में समाप्त की थी। इसमें १६ अधिकार हैं । पुराण में भगवान महावीर के जीवन पर अत्यधिक सुन्दर रीति से वर्णन किया गया है। इस पुराण की प्रति बयाना एवं दो प्रतियां फतेहपुर शेखावाटी के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध होती
हैं कवि ने पुराण के अन्त में रचना काल निम्न प्रकार दिया है
|
उज्जयंत विक्रम नृपति, संवत्सर गिनि तेह |
संत बहार पफीस अधिक समय विकारी एह ॥
E