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कथा साहित्य ]
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विशेष स्कंध पुराण में से है। सेवाराम ने प्रतिलिपि की थी।
४२४६. प्रावित्यवार कथा-पत्रसं० १०। भाषा - हिन्दी। विषय-कथा । रकाल' X । ले० काल X । । वेष्टन सं०४४५ 1 प्राप्ति स्थान—दि० अन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
विशेष-राजुल पच्चीसी भी है।
४२५०. प्रतिसं० २। पत्रसं० १० से २१ । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन स. ४४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
४२५१. श्रादित्यबार कथा..-पं० गंगावास । पत्रसं० ४१ । प्रा०६x६ इच । भाषा। विषय-कथा। र. काल सं० १७५० (शक सं० १६१५) ले०काल सं०१०११ (शक सं०१६७६) पूर्ण । बेष्टन सं० १५२५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर यजमेर ।
विशेष-प्रति सचित्र है। करीब ७५ चित्र हैं। चित्र अच्छे हैं। ग्रंथ का दूसरा नाम रविव्रत कथा भी है।
४२५२. जति स . . क; X५ इश्च । लेकाल सं० १८२२ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू दी।
४२५३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० । श्रा० १.१४५६छ । ले०काल सं० १८३९ । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी।
४२५४. अतिसं० ४ । पत्र सं० १८ । प्रा० १० x ७ च । ले० काम - । पूर्ण । वेष्टन सं. १-२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटजियों का सगरपुर ।
विशेष प्रति सचित्र है तथा निम्न चित्र विशेषत: उल्लेखनीय है..... पत्र १ पर—प श्वनाथ, सरस्वती, धर्मचन्द्र तथा गंगाराम का चित्र, बनारस केराजा एवं उसकी प्रजा
पत्र २ पर मतिसागर थेति तथा उसके ६ पुत्र इनके अतिरिक्त ४६ चित्र और हैं। सभी चित्र कथा
पर आधारित हैं उन पर मुगल कला का प्रभुत्व है। मुगल बादशाहों की वेशभूषा बतलायी गयी है। स्त्रियां लहगा, अोधनी एवं कचिली पहने हुये हैं कपड़े पारदर्शक हैं अंग प्रत्यंग दिखता है , आदि भाग
प्रशाम् पास जिनेसर पाय, सेवत मुख संपति पाय । बंदु वर दायक सारदा, यह गुरु चरन नमन मुग सदा । कथा कहूं रविवार जक्षणी, पूर्व प्रथ पुराणे भणी।
एक चित्त सुने जे सांभले तेहने दुख दालिदह टले । अन्त भाग
देश बराड विषय सिणगार, कार'जा मध्ये गुणधार । चंद्रनाथ मन्दिर सुखकंद, भव्य कुसुम भामन वर चंद्र ॥११॥ मूलसष मतिवंत महत, धर्मवंत सुरवर अति संत। तस पद कमल दल भक्ति रस कूप, धर्मभूषण रद रोने भूप ॥११॥