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________________ ४६४ [ अन्य सूची-पंचम भाग सत्रहसे सत्तावन मानि । संवत पौष दसै बदि जानि । हस्तिकांतपुर में पट्ट सची। श्री सुरेन्द्रभूषण तह रची। यह व्रत विधि प्रतिपाल जोइ । सो नर नारि अमरपति होइ ।। विशेष-सीगोली साम में प्रतिलिपि हुई थी। ४७०३. व्रत कथा संग्रह-X । पत्र सं० प्रा०१०४५३ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा। र. काल x | लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जम मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-निम्नलिखित कथाए हैं। १. दशलक्षव्रत कथा-हरिकृष्ण पांडे । र० काल सं० १७६५ । पत्र सं. २ तक । अन्तिम अंसी कथाकोश में कही, तैसी पथ चौपई लही। सरह पर पैसठ मांनि, संवत मादन पंचमि जानि ।। तापरि यम सरौं लोग विस्यात। दयाधर्म पाले मुभगाल ॥ सब यावग पूजाविधि कर। पात्रदान दै सुकृत लुनै ।।३५॥ मन मैं धर्म वृधि जव भई। हरिकृष्ण पांडे कथा भर ठई ।। यो इह सुन भाव धरि कोय । सोतो निह अमरापति होइ॥३६|| इति दशलक्षण व्रत की कथा सपूर्ण । मनंतब्रत कथा-x x ।पष सं० ३ से ४ ३. रतनत्रय कथा हरिकृष्ण पांडे । २० काल सं० १७६६ साबन सुदी ७ । पत्र सं०४ से ७ ४. आकाशपंचमी कथा-, ।पत्र ७ से १ ५, पंचमीरास कथा-. x x । पत्र सं०३ ६. आकाशपचमी कथा-४ । २० काल १७६२ चैत सुदी २ । पत्र ३ ४७०४. वसुदेव प्रबंध-जयकीत्ति । पत्र सं० १४ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-हिन्दी पत्र । विषय ---कथा । र०का । लेकाल सं० १७३५ ज्येष्ठ सुदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं०६३1 प्राप्ति स्थान दि.जैन अबवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है २.
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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