SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५० ] [ ग्रन्थ सूची- पश्चम भाग १५३४. मिथ्यात्व निषेध - × १ पत्रसं० ३१ । आ० १२४ X ७ इव । भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय-धर्म । र०काल — x ०काज सं० १८६८ प्रापाठ सुदी १३ ॥ पूर्णं । बेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बनाना। I विशेष मोहनलाल ने यह गोपाचल (ग्वालियर) में प्रतिलिपि की थी श्रीराम के पहनायें पुनः बलदेव ने ग्वालियर में पुस्तक तिसी भी १५३५. मिथ्यात्व निषेध विषय- धर्म । २० काल - X | ले० काल स्थान- दर्जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। Xत्र सं० ३४ ० १२७ सं० १९६६ भादवा बुदी ५ | पूर्ण । १४३८. मिध्यात्व निषेध पत्र [सं० ३२ । ० १३४५ विषय धर्म० काम X काल - X पूर्ण बेन सं० १० मन्दिर क्याना । इञ्च -- न विशेष छुट्टीमाल चंदेरीवालों ने सुई में प्रतिलिपि की थी। १५३६. मिथ्यात्व निषेध पत्र सं० ३६ भाषा-हिन्दी विधवधर्म २० काम X ले० काल १८६४ । पूर्ण वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १५३७. मिध्यात्व निषेध पत्र सं० २० प्रा० १०५३ भाषा हिन्दी (पद्म) विषय चर्चा २० काल - X | ०कास सं० १९९६ ग्रासोज सुदी १२ स्थान- दि० जैन छोटा मंदिर बयाना । पूर्ण बटन प्राप्ति भाषा - हिन्दी स०४५ | प्राप्ति -~ इञ्ज । - भाषा हिन्दी (प) | प्राप्ति स्थान दि० न छोटा - १५३६. मुक्तिस्वयंवर वेणीचन्द । पत्र० ३१८० १२३४ च । भाया - [हिन्दी] गयय) विषय धर्म २० काल सं० १९३४ कार्तिक ख़ुदी १ ले० काल सं १९७६ बुद १४ । पूर्ण सं०-११६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सोकर । । वे अन्तिम लसकर में याभियो पूरा इन्दौर जान कार्तिक वद नौमी दिना संवत उगनीरा चौतीस मान । जादि से प्रारंभयपुर के दिन मान । याही वरस मगसर वदी तेरस रवी प्रमान ॥ स्वात नक्षत्र जिल दिवस मिथुन लग्न मभार ॥ जय माता परसाद ते पूरा भयौ जु सार ॥ ३ ।। इति श्री मुक्ति स्वयंवर जी पंथ भाषा वचनिका संपूर्ण । बन्द मन्द का पुत्र फलटन का निवासी था । २ । ग्रा० १५४०. मुनिराज के छियालीस प्रस्तराय – भैय्या भगवतीवास । १२ २५३ इन्छ । भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - आचार शास्त्र । र०काल सं० १७५० ज्येष्ठ सुदी ५ 1 ले० काल सं० २४ प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १५४१. मूलाचार सूत्र बटुकेराचार्य परस० ३० । ० ११४४ इस भोवाप्राकृत विषय - आचार शास्त्र । र०काल X 1 से० काल X 1 वेष्ट्रन सं० ४६ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर जाकर जयपुर
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy