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शास्त्र भण्डार दिन बधेरवाल मंदिर माया
टोंक प्रांत का प्रावो एक प्राचीन नगर है। साहित्य एवं संस्कृति की दृष्टि से १६-१७ वीं शताब्दी में यह गौरव पूर्ण स्थान रहा। चारों ओर छोटी २ पहाड़ियों के मध्य में स्थित होने के कारण जैन साधुनों के लिये चिन्तन करने का यह एक अच्छा केन्द्र रहा । संवत् १५१६ में यहां मंडलाचार्य धर्मकीति के नेतृत्व में एक विम्न प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ था जिसका एक विस्तृत लेज मंदिर में अंकित है। लेख में सोलंकी वंश के महाराजा सूर्यसेन के शासन की प्रशसा की गयी है इसी लेख में महाराजा पृथ्वीराज के नाम के का उल्लेख हुआ है । नगर के बाहर समीप ही छोटी सी पहाड़ी पर भ. प्रभाचन्द्र, म मिनचन्द्र, एवं भ० धर्मचन्द्र की तीन निषेधिकाएं जिनपर लेख भी अंकित हैं। ऐसी निषेधिकाए' इस क्षेत्र में प्रथम बार उपलब्ध हुई हैं जो अपने युग में भद्रारकों के जबरदस्त प्रभाव की होता हैं।
यहां दो मंदिर हैं एक बंधेरखान दि० जैन मंदिर तथा दुसरा खण्डेलवाल दि. जैन मंदिर। दोनों ही मंदिरों में हस्तलिखित ग्रथों का उल्लेखनीय संग्रह नहीं है केवल स्वाध्याय में काम पाने वाले प्रा ही उपलब्ध है।
बूदी बूदी राजस्थान का प्राचीन नगर है जो प्राचीन काल के वृन्दावसी में नाम से प्रसिद्ध था। कोटा से बोस मील पश्चिम को पोर स्थित बूदो एवं झालावाड़ का क्षेत्र हाहौती प्रदेश कहलाता है। मुगल शासन में खूदी के शासकों का देश की राजस्थान की राजनीति में विशेष स्थान रहा । साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी १७ वी १८ वीं एवं १६ वीं शताब्दी में यहां पर्याप्त गतिविधियां चलती रही । १७ वीं शताब्दी में होने वाले जैन कवि पद्मनाभने बंदी का निम्न शब्दों में उल्लेख किया है
बूदी इन्द्रपुरी जखिपुरी कि कुबेरपुरी रिद्धि सिद्धि भरी द्वारिकि कासी धरीघर में धौमहर घाम, घर घर विचित्र घाम न र कामदेव जैसे सेधे मुख सर में वापी बाग पारुए बाजार बीथी विद्या वेद विधु विनोद वानी घोल मुखि नर में सहां करे राज भावस्पंध महाराज हिन्दू धर्मनाज पाससाहि भाज कर में
१८ वीं शतादी में कवि दिलाराम और हीग के नाम उल्लेखनीय है। ब्रदी नगर में ५ ग्रन्थ भण्डार हैं जिनके नाम निम्न प्रकार है
१ मंच भण्डार दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ
यादिनाथ भभिनन्दन स्वामी महावीर स्वामी नागवी (नेमिनाथ)
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