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१२९८ ]
पंथ नाम
लेखक
क्षेत्रपालाष्टक - विद्यासागर
क्षेत्र समास
क्षेत्र नाम प्रकरण
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त्र
त्रिपुर सुन्दरी यंत्र विचाशत किया तोद्यापन
विधान किया तो
भाबा
हिन्
प्र०ि
सं०
त्रिकाण्ड कोण पुरुषोत्तम देव त्रिकाल चौबीसी कथा-पं० प्रदेष सं
त्रिकाल चौबीसी पूजा
८२०. ६७७, १७५, १०१०
त्रिकाल चवीची पूजा - ० ५२०
त्रिकाल बीबीसी
८२०
त्रिकाल चौबीसी विधान
१६८
त्रिकाल संध्या व्याख्यान
त्रिभंगीसार टीका विबेकनन्दि भिंगीसार भाषा
त्रिलोक दीपक - वामदेव त्रिलोक प्रति टीका
प्रा
सं०
त्रियाक्रियोद्यापन भ० विश्वभूष
सं०
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चन्द्रसं
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स०
त्रिभुवन बीनती गंगादास
विभंगी
त्रिभंगीसार नेमिचन्द्राचार्य प्रा०
पत्र संख्या | पंच नाम
११५५ | त्रिलोक वन
१०४
सं
figo
६१६
१०४
त्रिभंगी सुबोधिनी टीका - पं० अशाधर सं० त्रिलोक दर्पण ---खड्गसेन
हि
७३०
६२१
८२०
८२१,
१५५
Co
११३३
२५६
६०
६१
६१
६१
६१
४४२, ६१६, ६१७
४४३
५३६
४३४, त्रिलोकसार सुमति कीर्ति
४३४
लेखक
सं० ६११,६१६ प्रा० ६११
[ चानुक्रमणिका
भाषा पत्र संख्या
fgo
१०७२
६.११
६११
८२१
वर्णन जिनसेनाचार्य
त्रिलोक वर्णन
त्रिलोक विधान पुजा – टेकबन्द
त्रिलोक सप्तमी वाजिनवास
विलोकसार नेमिचरा पायें
त्रिलोकसार सुमति सागर
विलोसार वचनिका
त्रिलोकसार
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४४३
६१२,
१३. ११४, १०००
हि ६१६
१६१, १०५१,
११४४, ११५९ सं ० ६१६
६१६
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विनोकसार पट
त्रिलोकसार चर्चा
त्रिलोकसार पूजा
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त्रिलोकसार पूजा - शुभचन्द
त्रिलोकवार पूजा सुमतिसागर सं०
शिलोकसार पूजा
सं०
त्रिलोकवार भाषा
हि
प्रा०
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सं०
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लोकतारमा पं० टोडरमल राज
त्रिलोक सार सटीक
प्रा०
मिलोक सार भाषा
हिन्
त्रिलोकसार टीका- नेमिचन्द्र गरिए सं०
त्रिलोकमार टीका - माधवचन्द वियदेव सं०
१०४०,
१०६३
६१६
६१५
८२१
८२१
८२२
८२३
६१७
६१८
६१४
६१४
६१५
६१५
सं० ६१५
६१३
११
११२
लोकसार टीका सहस्रकीति
त्रिलोकसार संहष्टि
विचार- श्री ब्रह्मसूरि त्रिवर्गादार-सोमसेन
त्रिषfts शलाका पुरुष न रत्र - हेमचन्द्राचार्य
सं०
प्रा०
सं०
सं ०
२७६,
३२२