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________________ ११०८ ] [ प्रन्थ सूची-पश्चम भाग पद-पं नाभू पद- मनोहर पद-जिनहर पद-विमलपम बारहमासा की विनती–पांडे राज भुवन मूषणपद-चन्द्रकीति आरती संग्रह १०१२६ गुटका सं० १३ । पत्र सं०६६ । प्रा०५६ ४२३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७६ । गुटका प्राचीन है। विशेष—मुनीश्वर जयमाल-4. जिणदास हिन्दी नन्दीश्वर जयमाल-सुमतिसागर हिन्दी चतुर्विशति तीर्थकर जयमाल हिन्दी गुरु स्तवन—पारेन्द्र कीति सामयिक पाठ संस्कृत सहस्रनाम-पाषाधिर संस्कृत नित्य नैमित्तिक पूजा संस्कृत रत्नत्रय विधि पूजा १०१२७. गुटका सं० १४ । पत्र सं० २६ । प्रा० X ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टत सं० ७५०। विशेष-निम्न संग्रह हैपार्श्वनाथ स्तोत्र प्रादित्यवार कथा ( अपभ्रंश) मानवावनी-मनोहर (इसका नाम संबोधन बावनी भी है) सवैया बावनी--मला साह बावनी-दूगरसी x १०१२८, गटका सं० १५ । पसं०१८४ । ०६४५इच । भाषा-हिन्दी । ले० काल पूर्ण । वेष्टन सं० ७८१ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैसामायिक पाठ भक्ति पाठ तरवार्थ मूत्र—मादि का संग्रह है ।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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