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________________ पुरोवाक् मुझे राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों को इस पांचवीं पंच मुची को देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई। डा० कासलीवालजी ने विभिन्न नगरो एवं ग्रामों के ४५ शास्त्र भण्डारों का पालोडन करके इस ग्रंथ सूची को तैयार किया है । इसमें लगभग छौस हमार पाण्डलिपियों का विवरण दिया हुआ है। इस ग्रंथ सूची में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण पुस्तके भी हैं जिनका अमो तक प्रकाशन नहीं हुधा है । मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि डा० कस्तूरचन्द जी एवं पं० अनूपचन्द जी ने इस ग्रंथ सूची का प्रकाशन करके मारी शोध कत्रिों और शास्त्र जिज्ञासुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रध दिया है । इस प्रकार की ग्रंथ सूचियों में भिन्न भिन्न स्थानों में सुरक्षित और प्रक्षात तथा अल्पज्ञात पुस्तकों का परिचय मिलता है और शोथ कर्मा को अपने अभीष्ट मार्ग की सूचना में सहायता मिलती है । इसके पूर्व भी डा० कासलीवालजी ने नथ सूचियों का प्रकाशन किया है । वे इस क्षेत्र में चुपचाप महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं । मेरा विश्वास है कि विद्वत् समाज उनके प्रयत्नों का पूरा लाभ उठाएगा। यद्यपि इन ग्रंथों की सूची जैन भण्डारों से संग्रह की गई तयापि यह नहीं समझना चाहिए कि इसमें केवल जैन धर्म से संबद्ध ग्रंय ही है। ऐसे बहुत से ग्रंथ हैं जो कि जैन धर्म क्षेत्र के बाहर भी पड़ते हैं और कई ग्रंथ हिन्दी साहित्य के शोध कानों के लिए बहुत उपयोगी जान पड़ते हैं । इस महत्वपूर्ण ग्रंथ सूची के प्रकाशन के लिए श्री महायोर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मन्त्री श्री सोहनलाल जी सोगारणी तथा डा० कस्तूरचन्द जी और पं० अनूपचन्द जी न्यायतीर्थ साहित्य और विद्या प्रेमियों के हार्दिक धन्यवाद के अधिकारी हैं। हजारो प्रसाद द्विवेदी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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