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ग्रंथानुक्रमणिका ]
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सं.
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ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या अकरारोपण विधि
सं.
प्रागम विलास : धानतराम हि० ६५८ अंकुरारोपण विधि : प्राशाधर ७५० श्राचार शास्त्र
प्रा० १००० ७८६ प्राचार सार वनिका : पन्नालाल चौधरी अंगपष्णत्ती अगविद्या
याचारांग मूत्रवृत्ति
प्रा. अंग सार्शन . --
अचार्य गुण वर्णन - सं. १ नजना चरित्र सुवनकीर्ति
३१४ प्राचार्यादि गुण वर्णन - हि. १०१२ अजपा रास :- हि
मजितजिन पुराण : पण्डिताचार्य अरुणमरिण प्रजना सुन्दरी चपई : पुण्यसागर डि. ३१४
मं० २६४ जना सु-दरी मतानो रान
पाठ प्रकार पूजा कथानक- प्रा० ७८६ अन्त कुन दशांग दृत्ति
भावंद श्रावक संधि : श्रीसार हि० ७११ अन्तगह दसायो - प्रा० २ भारदा
हि० १०५८ प्रतर दशा घर्णन - स. ५४१ | प्रारदा : महानंद
EX अन्तरिक्ष पाश्यनाथ स्वयन : भावविजय वाचक पान्दमणिका कल्प : मानन्ग हि. ७१५ प्रात्मपटल
हि. ११४६ __ -- लावण्य' समय प्रात्मप्रकाश प्रात्माराम हि०५७४ हि०७१५ | प्रात्मप्रबोध
सं. १०१२ अतरीक्ष पाश्वनाथ छंद : भावविजय हि० ११५५ | आत्मप्रबोध : कुमार कवि सं० १८१,१८४ अंबरचरित्र
प्रारमरक्षामंत्र अंबिका रास
हि० ६२३ | प्रात्मशिष्याणि : मोहनदास हि १०१५ प्रषिकासार : द्र० जिणास हि ११३८ प्रात्मसंबोध प्रकार शुद्धि विधान ; देवेन्द्र कान्ति
श्रात्मानुशासन : गुणभद्राचार्य सं०
प्रारमानुशासन टीका : पं० प्रभाचन्द्र प्राकाश पंचमी कथा : घासीदास हि ११२३
सं० १८४,१८५ : ब्रह्म जिनदास हि० ११०७ | यात्मानुशासन भाषा- हि. १८५ व ज्ञानसागर
4. टोडरमल हि. १८५,
१८६, १८७, १८, १५१ : ललितकीति
प्रात्मानुशासन माषा टोका सं० हि. १८५ सं० ४७६,४८० पारमावलोकन : दीपचन्द कासलीवाल : हरिकृष्ण पाण्डे
हि. १८६,६५७ ४३३ श्रात्मावलोकन स्तोत्र : दीपचन्द हि. १९७३ आंख के १३ दोष वर्णन - हि. ५७४ अदिजिनस्तवन : कल्याण सागर हि. प्रख्यात प्रक्रिया : अनुभूतिस्वरूपाचार्य
आदित्यजिन पूजा: केश बसेन सं. ७८३ ५११
: भ. देवेन्द्रकीर्ति प्रागमसारोद्धार : देवीचन्द
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