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[ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग
१०५८६. राजुल छत्तीसी–बालमुकन्द । पत्र सं० ८ । भाषा-हिन्दी । विषय-वियोग गार । २० काल X । ले०काल x | पूर्ण । थेष्टन सं० ४६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भरतपुर ।
१०५६०. राजुल पच्चीसी-X । पत्रसं० ३ । प्रा० ६४५ इञ्च। भाषा-हिन्दी । विषय - वियोग शृगार । र०काल x | ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक।
१०५६१. राजुल पच्चीसी-४ । पत्र सं० ६ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 विषयवियोग शुगार । २० काल x ले०काल | पूर्ण । वेष्टन सं०७०-४२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर ।
विशेष-- निम्न पाठ और है :मुनीश्वर जयमाल भूधरदास कृत तथा चौबीस नीर्थकर स्तुति । ।
१०५६२. राजुल पत्रिका-सोयकवि । पत्रसं० १। भाषा-हिन्दी । विपय-पत्र-लेखन (फूटकर)। र०काल x ले०काल X । पूर्ण । वेपन सं५६१३९ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभव-- नाथ मन्दिर उदयपुर ।
विशेष--
प्रारम्भ--
स्वस्ति श्री पगति पाय मामि गढ़ गिरनार सूठायरे मामलिया। लखितु राजुल रंगि वीनती संदेसइ परिणामरे पीयारा ॥१॥ एक बार अवारे मन्दिर मा हरइ जिम तलिय मन हेजरे सामलिया। तुम बिन सूना मन्दिर मालिया सूनी राजुल से'जरे पीयारा ॥२॥ अत्र कुशल ते मुजीना ध्यान की तुम कुशल नित मेव रे समलिया । चरणनी चाकरी चाहुताहरी दरसन दिलवहु देव पीयारा ॥३॥
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अन्तिम
वेगीमालरा करी जेवा लही होल भरणे रहि कामरे 1 पारिण नसइ मइ पीउड़ा पातली दोहिलो विरह विरायरे पीवारारे ॥२०॥ माह बदि सातिम दिन इति मंगल लेत लियो लख बोलरे सामलिया। अस सोम कवि सीस साहि प्रीति राजुल मनर ग रोलरे पीयारा ॥२१॥ पूज्याराध्य तुमे प्राणिसरु श्री यदुमति चरणनुरे साभलिया। राजुल पतियां पाठवी प्रेम को गढ गिरनाप सुठामरे पीयारा ॥२२॥
एक बार पावोरे मन्दिर मारे ॥ १०५६३. रामजस- केसराज । पत्र रा ० २५२ । प्रा० १ ० ४ ४९ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-विविध । र० काल सं० १९८० पासोज वुदी १३ । ले०काल सं० १८७४ अषाढ सुदी ८ । पूर्ण 1 पेनसं०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना दी।
विशेष- इसका नाम रामरस भी दिया है । अंतिम-श्री राम रसोधिकारे संपूर्ण ।