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[ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग
अनिरुध स्वामी सुगतिगामी कीबू तेह अखाण जी। भवियरण जन जे भावे भरणरो पामे सुख खाण जे ।।१।। अल्प थत हैं काहन जाण देज्यो मुझ ने शानजी । पूर्ण सूरि उपदेशे कीधो भनिरुध हरण सरधानजी ।।। कविजन दोष मां मुझते दीज्यो कहूँ हूँ कि मान जी। होनाधिक जे एहा होये सोधज्यो सावधानजी ॥३॥ मूलसंघ मां सरस्वती गच्छे विद्यानंद मुनेंदजी । तस पट्टे गोर मल्लिभूपरण दोडे होय अनदजी ।।४।। लक्ष्मीचन्द्र मुनि श्रुत मोहन वीर चन्द्र तस पाटेजी। ज्ञानभूषण गोर गौतम सरिखो सोहे वंश ललाट जी । प्रभाचन्द तस पाटे प्रगटथो हुँबड चागी विडिल विक्षात जी । वादिचन्द्र तल अनुक्रम सोहे वादिचन्द्रमा क्षात जी ।।। तेह पाटे महीचन्द्र भट्टारक दीठे नर मन मोहे जौ । गोर महिचन्द्र शिष्य एम बोले जयसागर ब्रह्मचारजी। अनिरुध नामजे नित्य जपे तेह पर जयजयकार जी। हांसोटे सिंहपुरा शुभ ज्ञाते लिख्यू पत्र विशाल जी। जीवर कीतातणे वचने रचियो जू ये हाले जी ॥२॥ दूहः -अनिरुध हरराज मैं करयु दुःख हरण ऐसार ।
सांभला सुख उपजे कहे जयसागर ब्रह्मचारजी ।। इति थी मटारक महीचन्द्र शिष्य ब्रह्म थी जयसागर विरचिते अनिरुद्धहरणाख्यानो अनिरुद्ध मुक्ति गमन धरणं नो नाम चतुर्थोऽधिकार संपूर्णमस्तु ।
___ संवत् १७६६ मा वर्षे श्रावणमासोत्तम मासे शुभकारि शुक्लपक्षे द्वितीया भृगुवारारे श्री परतापपुर नगरे हुँबड ज्ञातीय लघु शाखायां साह श्री मेघजी तस्थात्मज साह दयालजी स्वहस्तेन लिखितमिदं पुस्तकं ज्ञानावर्णी क्षयार्थ ।
४२२५, प्रतिसं०२ । पत्र सं० २७ । ले० काल सं० १७६० चैत बुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं. २५०/६६ । प्राप्ति स्थान - संभवनाथ दि जैन मन्दिर उदयपुर ।
४२२६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ११४४ इच । मे०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३३१1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरमली कोटा ।
४२२७. अपराजित प्रथ (गौरी महेश्वर वार्ता)। पत्र सं० २ । भाषा- संस्कृत । विषयसंवाद । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३८/३६२ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर ।
४२२८. अभयकुमार कथा--X । पत्र सं०६ । आ० १०४७ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल x | पूर्ण । बेष्टनस० ० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी ।