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________________ ११३४ ] १०२२१. मुटका सं० १ १७१८ मगर बुदी १४ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर विशेष- पाहुड की संस्कृत टीका राहित प्रति है। अपूर्ण वन सं० १०२३०. गुटका सं० २ । पत्र सं० ४०-८२ । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १६७० ॥ विशेष- मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है लघ्नु' लघु तत्वार्थ सूत्र दानतपापीस भावना गीत ऋषिमंडल स्तवन संधोध पंचासिका ० ६२ ० ९x९६४ भाषा प्राकृत से काल सं० ७. जिनमंगल ८. मेवाडीनां गीत्र ब्रह्म वामन भतिसागर ४. कथूल कथा ५. विषय सूची ६. चोवीसी सीकर स्तवन विद्याभू विशेष – पभदेव थी अजित सकल संभव अभिनन्दन | सुमति पद्म सुपार्श्व श्रीचतुर चन्द प्रभ वंदन ॥ अधारह पुराणों की नामावली विशेष – पुन: पत्र १०. गुरुराशिगत विचार ३० मत्रों का वर्णन है। से चालू हैं T गुटका जीर्ण है । हिन्दी | I १०२३१. गुटका सं० ३ ० १८-२६० पा० ११३७३ इव भाषा-संस्कृत। पत्र ले ० ०काल सं० १६४३ असोज बुदी । प्रपू । बेष्टन सं० विशेष-गुटका बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें हिन्दी एवं संस्कृत की अनेक अज्ञात एवं महत्वपूर्ण रचनाएं हैं ट में संग्रहीत मुख्य रचनाओं का विवरण निम्न प्रकार है ० सामग्र प्रकार पत्र सं० ५६ १. सीमंबर स्तवन C २. स्त्री लक्षण ३. श्री रामचन्द्र स्तवन ११ ११ ११-१३ १६-१७ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग पत्र १७ १५ 37 १ संस्कृत हिन्दी 37 संस् 17 धनालिखतं भाषा विशेष हिन्दी पद्य सं० ३१ >> हिन्दी पद्य सं० १० संस्कृत हिन्दी संस्कृत (ज्योतिष) पद्य सं० १०३
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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