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________________ गुटका संग्रह ] प्रारम्भ (४) कति व्यवहार पीसी (५) पंचेद्रिका ब्यौरा (६) राम कथा (७) पद्मिनी बखारण (5) कवित २. सर्वा २. सोलह स्वप्न पय ३. जिन जम्म महोत्मन षट्पद ४. सप्तन्यसन ५. दर्शनाष्टकसवैया ६. विषापहार छप्पय ७. भूपाल स्तोत्र उपय ८. बीस विरहमान समा ६. नेमिराजमती का रेखता १०. भूलना २२. प्रस्ताविक सवैया पहलू मरि गुर गणपति को महामाय के पांच ॥ जाके शुचिरत ही सर्व पाप दूर है जाय || संवत् सोलासे चोहोत्तरिया चैत दांद उरियारं श्री पण भयो वानखाना को तब कविता अनुसारि ॥ दस सब के मनमाने शब को लगे मुहाई | मैं कवि वान नाम तं जानी प्रखर की राई || यांभन जाति बधरिया पाठक बान नाम जग जाने । शेव कियो राजाधिराज यो महासंघ मनमाने ॥ १२. छप्पय १३. राजुल बारह मासा १४. महाराष्ट्र भाषा द्वादश मासा १५. राजुल बारह मासा कलि चरित्र जत्र लिन देख्यों कलि चरित्र तब कीनों कहे शुभे ने गायन परसों अमैदान कलि दीनों ॥ नन्दराम समानन्द १३७-१५० २०६ तक सुपयद बूंदी। १४५ तक IL ६५११. गुटका ० १४ । पत्रसं० १३६ । घा० ५५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १४२ । विशेष निम्न पाठ हैं कुमुदचन्द विद्यासागर 11 11 || 11 || 11 विनोदीलाल सानुसा X X गंगकवि पत्र १२०-१३४ २५ पद्य हैं पत्र १३४-३७ चिमना विनोदीलाल पद्य स० ४ ।। ε ।। १२ ।। ७ ॥ ११ ॥। ४० ॥ २७ ।। २१ ।। ११ ४२ पद्य हैं २७ ४ प हैं १३ पद्य है [ १००३ १३ पद्म है २६ पद्य हैं हिन्दी T ||
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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