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प्रकरण तीसरा ___इसी प्रकार श्री संतबालजी आदि स्था० साधु और गृहस्थं लेखकों का लौकाशाह विषयक प्रमाणों का सब से बढ़कर आधार श्रीमान् वा० मो० शाह और उनसे लिखित “ऐतिहासिक नोंध" है। ऐति० नोंध स्वयं अपने नाम से ही विश्वास दिला रही है कि इसमें इतिहास की बातों की ही नोंध (चर्चा)-होगी। और श्रीमान् वाडी. मोती० शाह स्थानकमार्गी समाज में एक बड़े भारी विद्वान् और इतिहास के संशोधक समझे भी जाते हैं।
अब देखना यह है कि श्रीमान् वाडी० मोती० शाह ने अपनी नोंध में लौकाशाह का जीवन जिन साधनों को उपलब्ध कर लिखा है उन्हें हम आपके ही शब्दों द्वारा व्यक्त कर देते हैं, हाला कि स्थान० समाज का इस पर अटूट विश्वास है।
"x x x हम लोगों में इतिहास लिखने की प्रथा कम होने से एक जबर्दस्त धर्म सुधारक, और जैन मिशनरी के सम्बन्ध में आज हम बहुत करके अंधेरे में हैं।"
ऐतिहासिक नोंध पृष्ट ६५
"इतना होने पर भी अभी हम उनके खुद के चरित्र के बारे में अंधेरे में ही हैं x x x, लाकाशाह कौन थे? कब-कहाँ कहाँ फिरे इत्यादि बातें आज हम पक्की तरह कह नहीं सकते हैं x x जो कुछ बातें उनके बारे में सुनने में
आती हैं, उनमें से मेरे ध्यान में मानने योग्य ये जान पड़ती हैं x x x x "
ऐतिहासिक नोंध पृष्ट ६६
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