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कडुआमत नियमावली संप्रति दशवों अच्छेरा चलता है।
इत्यादि बहुत से बोल निश्चित किये तथा शास्त्राक्षर मुजब सामायिक प्रतिक्रमण करना और संबरी गृहस्थ के लिए भी १०१ बोलों की प्ररूपणा की और यह नियम निर्धारित किया कि संयमार्थी संबरी गृहस्थ के वेश में रह कर दीक्षा का परिणाम रक्खें और निम्न लिखित नियमों का पालन करते रहैं । १-चलते समय दृष्टि नीची रखना। २-रात्रि में बिना पूंजे नहीं चलना। ३- डिल के सिवाय रात्रि को कहीं बाहिर नहीं जाना । ४-मार्ग में चलते समय बोलना नहीं । ५-सञ्चित भोजन नहीं करना । ६-शेष दो घड़ी दिन रहे तब चौविहार करना । ७-अति मात्रा में आहार न करे, ड्ठा न डाले, और भोजन
करते समय न बोले । ८-विद्वल टालना। ९-हाथ से किसी वस्तु को फेंक नहीं देना । १०-किसी चीज को खींचना नहीं। • ११-थंडिला की शुद्धि करना । .. .इससे सब साधुओं को असंयति समझा है, या भाप स्वयं तथा लोकाशाह जैसे असंयति पुजाए जाने वाले को 'असंयति पूजा' नामक अच्छेरा समझा है। : . २ फिर दुबारा शास्त्राक्षराऽनुकूल सामायिक प्रतिक्रमण का उल्लेख साफ २ जाहिर करता है कि उस समय कोई ऐसा भी व्यक्ति था कि सामायिक, प्रतिक्रमण का भी निषेध करता हो। और वह था
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