Book Title: Shreeman Lonkashah
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Shri Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala Phalodhi

View full book text
Previous | Next

Page 411
________________ कडुआमत पटावलि स्थापन कर स्वयं समाधि पूर्वक काल किया । अंत में पटावली. कार ने यह लिखा है कि भस्मग्रह के उतरने पर कडुआशाह ने धर्म को दीपाया। कडाशाह के पाट खेमाशाह हुआ। खेमाशाह के पाट वीराशाह, वीराशाह के पाट शाहजीवराज, शाह जीवराज के पाट तेजपाल, तेजपाल के पाट शाहरत्नपाल, रत्नपाल के पाट जिनदास और जिनदास के पाट पुनः शाह तेजपाल (द्वितीय) हुए । इनका समय वि. सं. १६८४ का है। "इति कडामत लघु पटावली शाह कल्याले न कृता । संवत् वेद वसु कला ६ अर्थात् १६८४ वि० सं० में पटधर तेजपाल के विजय राज्य में लिखी गई है।" वि० सं० १६८४ के बाद कडुआमत में कौन २ “संबरी श्रावक" हुए इसका अभी तक पता नहीं है । पर राधनपुर, थराद, अहमदाबाद, पंचमहल प्रान्त आदि ग्रामों में इस समय भी कडामत के श्रावक विद्यमान हैं। यदि बड़ी पटावली प्रयत्न करने पर हस्तगत हुई तो, कडुअामत पर फिर विशेष प्रकाश डाला जायगा । ओं शान्तिः ! ओं शान्तिः !! ओं शान्तिः !!! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 409 410 411 412 413 414 415 416