Book Title: Shreeman Lonkashah
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Shri Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala Phalodhi

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Page 403
________________ ३२८ - स्थापना प्रमाण ( सामायिकादि क्रिया स्थापनाजी के सामने होनी जरूर है ) ' । कडुआमत पटावलि १० - तीन स्तुति कहना | ૨ ११ - वासी कटोल का त्याग रखना । १२ – पौषह तिविहार चौ विहार हो सकता है । १३- पंचांगी शास्त्रनुसार मान्य रखना । १४ – सामायिक लेकर इर्यावहि करना । १५ - वीर प्रभु के पंच कल्याणक मान्य रखना " । १६ - दूसरा वन्दन बैठा रह कर देना । १७ - साधु कृत्य विचार | १८ - अधिक श्रावण हो तो दूसरे श्रावण पर्युषण और अधिक कात्तिक हो तो दूसरे कार्त्तिक में चौमासी । १९ - खियें भी प्रभु की पूजा कर सकें । १ - लौकामत के अनुयायी स्थापना भी नहीं मानते थे; तदर्थ यह नियम बनाया हो । -लौंकाशाह के मत वाले लोग वासी लेकर खा रहे थे, इसलिये यह नियम भी बनाया हो । -लोकाशाह पंचांगी मानने से इन्कार था, वास्ते कहुभाशाह ने यह नियम बनाया हो । ४ - यह क्रिया खरतरगच्छ से मिलती है । -यह मान्यता खरतरगच्छ से विरुद्ध और शेष गच्छों से मिलती है इससे पाया जाता है कि यद्यपि कहुआशाह को गच्छों का पक्षपात नहीं पर मनमानी क्रिया करता था । ६ – यह खरतरगच्छ से विरुद्ध है क्योंकि इस गच्छ के आदि पुरुष आचार्य जिनदत्तसूरि ने स्त्रीपूजा का निषेध किया था । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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