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- स्थापना प्रमाण ( सामायिकादि क्रिया स्थापनाजी के सामने होनी जरूर है ) ' ।
कडुआमत पटावलि
१० - तीन स्तुति कहना |
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११ - वासी कटोल का त्याग रखना । १२ – पौषह तिविहार चौ विहार हो सकता है । १३- पंचांगी शास्त्रनुसार मान्य रखना ।
१४ – सामायिक लेकर इर्यावहि करना ।
१५ - वीर प्रभु के पंच कल्याणक मान्य रखना " ।
१६ - दूसरा वन्दन बैठा रह कर देना ।
१७ - साधु कृत्य विचार |
१८ - अधिक श्रावण हो तो दूसरे श्रावण पर्युषण और अधिक कात्तिक हो तो दूसरे कार्त्तिक में चौमासी ।
१९ - खियें भी प्रभु की पूजा कर सकें ।
१ - लौकामत के अनुयायी स्थापना भी नहीं मानते थे; तदर्थ यह नियम बनाया हो ।
-लौंकाशाह के मत वाले लोग वासी लेकर खा रहे थे, इसलिये यह नियम भी बनाया हो ।
-लोकाशाह पंचांगी मानने से इन्कार था, वास्ते कहुभाशाह ने यह नियम बनाया हो ।
४ - यह क्रिया खरतरगच्छ से मिलती है ।
-यह मान्यता खरतरगच्छ से विरुद्ध और शेष गच्छों से मिलती है इससे पाया जाता है कि यद्यपि कहुआशाह को गच्छों का पक्षपात नहीं पर मनमानी क्रिया करता था ।
६ – यह खरतरगच्छ से विरुद्ध है क्योंकि इस गच्छ के आदि पुरुष आचार्य जिनदत्तसूरि ने स्त्रीपूजा का निषेध किया था ।
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