Book Title: Shreeman Lonkashah
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Shri Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala Phalodhi

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Page 408
________________ ३३५ कडुआमत नियमावलिः ७५-लौंकामत वालों के घर का अन्न पानी प्रहण न करना ।' ७६-जिसके यहां देव द्रव्य बाकी हो उसके घर न जीमना । रे ७७-मंदिर की भूमि में न सोना । ७८-सम्बन्धी से किसी तरह की याचना नहीं करना । ७९-दूसरों का द्रव्य उनकी मंजूरी के बिना धर्म कार्य में भी नहीं लगाना। ८०-दो दिन से ज्यादा एक घर में नहीं जीमना। ८१-मिथ्यात्वी जो संबरी होवे तो उसके घर तीन दिन से ज्यादा नहीं जीमना । ८२-घेवर आदि उत्कट आहार न करना । ८३-सिंघोड़ा सूखे तथा हरे भी न खाना । ८४-डगला कुर्ता पहिनने की जयणा । ८५-दूसरों के लड़कों को लाड़ न लड़ाना । ८६-स्वजन सिवाय (बड़ा प्रारम्भादि ) वहां जाकर नहीं जीमना। ८७-हलवाई की मिठाई की जयणा । ८८-रात्रि को रांधा हुआ भोजन नहीं खाना । ८९-गृहस्थ के घर में बैठ बातें नहीं करना । ९०-जूता नहीं पहिनना । ९१-वाहन पर सवारी नहीं करना । ९२-मास में एक बार नख उतारना । १ौंकामत जो शासन का उच्छेद करनेवालाहोने से उसके घर का अब जल लेने में कडुआशाह महापाप समझता होया। २ कडुमाशाह देव द्रव्य का भी बड़ा ही हिमायतीदार था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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