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कडुभामत नियमावली २९-चार घड़ी रात्री शेष रहे तब उठजाना । ३०-उघाड़े मुंह न बोलना (जयणा करना) । ३१-रात्रि के प्रथम प्रहर में नहीं सोना । ३२-बिना कारण दिन में भी नहीं सोना । ३३-नित्य एकाशना-व्रत करना । ३४-नित्य, गंटूसही, प्रत्याख्यान, करना । ३५-सायं प्रातः दोनों समय देववन्दन, प्रतिक्रमण, प्रतिलेखन,
करना। ३६-नित्य पांच तथा सात वार चैत्यवन्दन करना। ३७-कम से कम नित्य एक गाथा कंठस्थ करना । ३८-नित्य ५०० गाथाओं की स्वाध्याय करना । ३९-कुदर्शनी के परिचय का त्याग करना। ४०-नित्य बन सके तो एक से ज्यादा सामायिक करना । ४१-नित्य एक विगई से ज्यादा नहीं लेना । ४२-यदि कभी घी खाना हो तो पावसेर से ज्यादा नहीं खाना। ४३-एक पक्ष (१५ दिन) में दो उपवास करना । ४४-दश तथा पन्द्रह लोगस्स का काउसग्ग नित्य करना । ४५-एक वर्ष से ज्यादा एक ही गांव में नहीं रहना ४६-अपने लिए हाट घर नहीं बनाना। ४७-पांच वस्त्रों से अपने पास अधिक वस्त्र न रखना। ४८-गादी तकिया श्रोशीषा नहीं रखना । ४९-पलंग, खाट या माचे पर नहीं सोना । ५०-दूसरों के चकले या गादी पर नहीं बैठना। ५१-एक कलसिया और एक कटोरासे ज्यादा बरतन नहीं रखना।
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