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प्रकरण नौवाँ
प्राचार्य विजयानन्द सूरि
_ "x x x अहमदाबाद में एक लौका नामक लिखारी यतियों के उपसरा में पुस्तक लिख के आजीविका चलाता था, एक दिन उसके दिल में बेईमानी आई, और एक पुस्तक के सात पन्ने बीच में से लिखना छोड़ दिया, तब पुस्तक के मालिक ने पुस्तक अधूरा देखा तो लुंका लिखारी का तिरस्कार कर उपाश्रय से निकाल दिया और दूसरे (शास्त्र) भी उससे लिखवाना बन्द कर दिया x x x"
अज्ञान तिमिर भास्कर पृष्ठ २०२.३ आपने स्थानकवासी मान्यता के अनुसार यह लिखा होगा।
श्रीमान् संतबाली- "x x x यतिजी लौकाशाह के यहां गोचरी को गए, वहां वार्तालाप हुश्रा x x x यतिजी ने शास्त्र लिखने को दिए, पर उनको यह खयाल नहीं था, कि आज यह लहिया है, वह कल कैसा होगा ?' लौकाशाह को शास्त्र मिलता गया और वह उतारा करते गए x x x"
"जैन प्रकाश ता० १८.७-३५ पृष्ठ १३९ गुजराती का सार"
इन्हीं उपर्युक्त उद्धरणों का उल्लेख यत्र तत्र अन्य लेखकों ने भी किया है। इन लेखों से यह पाया जाता है कि लौंकाशाह ने जो सूत्र अपने लिए गुप्त रूप से लिखे थे, वे यतियों
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