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पूज्यपाद शान्त मूर्ति श्रीवृद्धि विजयजी महाराज :
[पं० स्था० साधु वृद्धिचंदजी ]
आप पखाब प्रदेश के एक चमकते सितारे थे, श्राप का जन्म पंजाब प्रान्त के राम नगर में श्रोसवाल कुल के धर्मजस की धर्मपत्नी श्री कृष्णदेवी के उदर से वि० मं० १८९० में हुआ था, आपने वि० सं० १९०८ में महात्मा टेरायजी के पास साधुमार्गी दीक्षा ली थी, और अन्त में आप ने सत्य की गवेषणा कर मुँहपत्ती का डोरा
तोड़ श्रीमान् बूंटेरायजी महाराज के साथ अहमदाबाद में * दादा श्रीमाणविजयजी गणि के समीप पुनः जैन दीक्षा को :
धारण की, आप का प्रभाव जैन जनता पर खूब पड़ा, जग. प्रसिद्ध आचार्य विजयधर्मसरिजी एवं विजयनेमिसरीश्वरजी जैसे प्रखर विद्वान् एवं धर्म प्रचारक आप के शिष्य हुए, इतना ही क्यों, पर आप की परम्परा में आज १०
आचार्य और १३५ साधु विद्यमान हैं और साध्वियाँ * भी आप की परम्परा में काफी संख्या में हैं।
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