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मुनि श्रीचारित्रविजयजी महाराज
[स्था० साधु धर्मसिंहजी] कच्छ देश के पत्री नामक प्राम में घेलाशाह को शुभगादेवी की कुक्षीसे वि० सं० १९४० में धारशो भाई
का जन्म हुआ। वि० सं० १९५६ में स्थानकमार्गी कानजी * स्वामि के पास दीक्षा ली श्राप का नाम धर्मसिंह रखा।
आपने शास्त्रों का अभ्यास किया तो मूर्ति नहीं मानने वालों * के मत को कल्पित समझ कर सर्पकंचूक की भाँति शीघ्र * ही छोड़ कर सं० १९५९ में आचार्य श्री विजयफमल
सूरीश्वरजी महाराज के चरण कमलों में जैन दीक्षा ग्रहण कर * सत्योपदेश द्वारा जैन शासन की अपूर्व सेवा की ।
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