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पंजाब की पटावलि पटावलि में मुद्रित हुई पटावलि नहीं मिलती हैं जिसका नमूना यहां बतला देना अनुचित न होगा।
निम्रलिखित कोष्टक में पहला नम्बर स्थानक० साधू अमोलखर्षिजी कृत श्रीनन्दीसूत्र का हिन्दीअनुवाद के २७ पाटों के प्राचार्यों का नाम है। दूसरे नंबर में पंजाब पटावलि के, तीसरे नंबर में कोटावालों की पटावलि के, चौथा नंबर में स्वामी मणिलालजीवाली पटावली के २७ पट्टघरों की नामावली हैं। स्था० सा० अमोल. के पंजाब की पाटा- कोटावालि पटा- स्वा० मणिलालजी मन्धी सूत्र के २७ पाट वलि के २० पाट वली के २७ पाट के २७ पाट
-सौधर्माचार्य । सौधर्माचार्य | सौधर्माचार्य । सौधर्माचार्य २-जम्बुस्वामि
जम्बुस्वामि | जम्बुस्वामि जम्बुस्वामि ३-प्रभवस्वामि
प्रभव , प्रभव , प्रभव , ४-शययम्भव
शयम्भव ,, वायम्भव, शायम्भव, ५-यशोभद्र यशोभद्र, यसोभद्र , यशोभद्र, ६-संभुतिविजय । संभतिविजय । संभुतिविजय संभुति विजय
-भद्र बाहुस्वामि भद्रबाहस्वामि | भद्रबाहु स्वामि | भद्रबाहुस्वामि ८-स्थुलीभद्र स्थुलिभद्र स्थुलिभद्र स्थुलिभद्र ९-महागिरि भार्य महागिरि भार्य महागिरि । भार्य महागिरि ""बाहुल स्वामि बलीसिंह बलिसिंह आर्ग सुहस्ती ११-साद्रण स्वामि भुवनस्वामि सीवन स्वामि | सुप्रतिबुद्ध १२-यामाचार्य । वीरस्वामि
इन्द्र दिन १५-संडिलाचार्य ।
संछडील ,, छडिल,
आर्य दिन १५-समुद्राचार्य जीतधर ..
बज स्वामि १५-आर्य मांगु
भार्य समुद्र | भार्ग समुद्र | धजसेन १६-धर्माचार्य | नन्दिल स्वामि J नन्दिजी, भद्रगुप्त
वीर ,
जीतधर ,
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