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ऐ० नो० की ऐतिहासिकता
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१७-भद्रगुप्ताचार्य | नाग हस्ति , | नाग हस्ती, | वज (फल्गुनी) १४-वजस्वामि डिलाचार्य रेवंत, आर्ण रक्षित १९-आयरक्षित हेमवंताचार्य । सिंह गणि,, नन्दिल २०-आर्य नन्दिल | नागजीताचार्य
थंडिल ,
नाग हस्ती २१-आर्य नागस्ति गोविन्दस्वामि हेमवंत, रेवती २२-रेवंताचार्य नागजीत हेमवंताचार्थ सिंहाचार्य २३--सिंहाचार्य गोविन्दाचार्य नागजी स्वामि खंदिलाचार्य २४-खंदिलाचार्य भनदिनाचार्य गोविन्दजी ,, | नागजीताचार्य २५-नागार्जुन । छोहागणि भतादिन , गोविन्दाचार्य २६-हेमवंताचार्य दुसगगी।
भूतादिनाचार्य २७-गोविन्दाचार्य | देवर्द्धिगणि | देवडगणि । देवहुगिण
उपरोक्त तालिका से पाठक स्वयं समझ सकते हैं कि इन कल्पित मत में किस प्रकार कल्पित पटावलियों की रचना कीगई है इन २७ पाटधरों में ९ नाम जो जैनपटावलियों से लिये गये वे तो सबके लिए समान हैं और शेष नाम न तो श्रीनंदीसूत्र से मिलते हैं और न तीनों कल्पनायें करने वालों के आपस में ही मिलते हैं जब नंदीसूत्र 'जो स्थानकवासियों के माना हुआ,' के नामों से ही इन लोगों में किसी का भी नाम नहीं मिलता है तो २७ पाट से आगे ज्ञानजी यति ( ज्ञानसागरसूरि ) और लौंकाशाह तक के पाट नामावली के लिए तो कहना ही क्या है परन्तु जहां कल्पना ही के किल्ले बाँधे जाते हैं वहां सत्यता का तो अंश ही क्यों हो, यदि इन कल्पित किल्ले बनाने वालों में थोड़ा भी बुद्धि का अंश होता तो कम से कम २७ पाट तो नन्दीसूत्र
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