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afकाशाह और मूर्तिपूजा
आगे कदम बढाना ही पड़ेगा । अस्तु मूर्तिपूजा के विषय में मैंने एक अलग ग्रन्थ लिखा हैं उसमें मूर्तिपूजा का इतिहास, लौकाशाह पर किन श्रनायों का प्रभाव पड़ा और उन्होंने मूर्तिपूजा का विरोध क्यों किया, फिर लौंकाशाह के अनुयायियों ने मूर्तिपूजा क्यों स्वीकार की, श्रागमों की प्रमाणिकता, जैनागमों में अनादि काल से शाश्वति मूर्तियों धर्म की आदि काल में कृत्रिम मूर्तियों और ऐतिहासिक क्षेत्र में मूर्तिपूजा का आग्रह स्थानादि अनेक विषयों पर विस्तृत प्रकाश डाला है । इसी कारण यहाँ मूर्त्ति विषय केवल लौंकाशाह का सम्बन्ध संक्षिप्त से लिख कर इस प्रकरण को समाप्त कर देता हूँ । अब आगे के प्रकरण में लौंकाशाह डोरा डाल मुंह पर मुहपती बान्धी थी या नहीं इसका निर्णय किया जायगा पाठक ध्यान पूर्वक पढ़ें |
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