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संवेगरंगी, उपविहारी प्रकाण्डतपस्वी महानप्रभाविक जैनाचार्यश्रीआनन्दबिमलमूरि और महोपाध्याय श्रीविद्यासागरजी ( सं० १५९७)
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लौंकामत के पूज्य आनन्दर्षि भोजर्षि बालऋषि आदि अपने शिष्यों के साथ लौकामतको छोड़कर आचार्यश्री के समीप पुनः जैन दीक्षा स्वीकार कर रहे हैं गणि विद्यासागर जी ने भी कई लौंकामतियों को जैनदीक्षा दी थी